Matsya Jayanti 2023 Date: मत्स्य जयंती 2023 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और मत्स्य जयंती की पूजा विधि
Matsya Jayanti 2023 Date |
Matsya Jayanti 2023 Date: मत्स्य जयंती का पर्व (Matsya Jayanti Festival) चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के प्रथम अवतार मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य को उसके सभी पापों से मु्क्ति मिलती है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है तो चलिए जानते हैं मत्स्य जयंती 2023 में कब है (Matsya Jayanti 2023 Mein Kab Hai), मत्स्य जयंती का शुभ मुहूर्त (Matsya Jayanti Shubh Muhurat),मत्स्य जयंती का महत्व और मत्स्य जयंती की पूजा विधि (Matsya Jayanti Importance and Matsya Jayanti Puja Vidhi)
मत्स्य जयंती का महत्व (Matsya Jayanti Ka Mahatva)
मत्स्य जयंती के दिन भगवान विष्णु के मतस्य अवतार की पूजा की जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन इस पर्व को मनाया जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार लिया था। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से कई तरह के लाभों की प्राप्ति होती है।
इस दिन विशेष रूप से मतस्य पुराण को सुना और पढ़ा जाता है। इसके साथ ही इस दिन मछलियों को आटें की गोली खिलान भी बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है।मत्स्य जयंती के दिन निर्जला व्रत रखना और भोजन का दान देना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन के सुखों में बढ़ोतरी होती है। मत्स्य जयंती के दिन मछली को नदी या समुद्र में छोड़ने से भी भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मत्स्य जयंती की पूजा विधि (Matsya Jayanti Puja Vidhi)
1. मत्स्य जयंती के दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इसके बाद एक चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़क कर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और फिर भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। यदि आपको मत्स्य भगवान की मूर्ति या तस्वीर ने मिले तो आप भगवान विष्णु की ही मूर्ति या तस्वीर पूजा में रख लें।
3. मूर्ति या तस्वीर स्थापित करने के बाद भगवान विष्णु को फूलों की माला, फूल, फल, नैवेद्य और चरणामृत आदि चढ़ाएं। जिसमें तुलसी दल अवश्य हो।
4. इसके बाद धूप व दीप जलाएं और भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की विधिवत पूजा करें
5. पूजा के बाद मत्स्य अवतार की कथा पढ़ें या सुने। इसके अलावा यदि संभव हो तो मत्स्य पुराण का पाठ अवश्य करें।
6.इसके बाद भगवान विष्णु की आरती उतारें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
7. भोग लगाने के बाद पूजा में हुई किसी भी प्रकार की गलती के लिए माफी अवश्य मांगे।
8.इसके बाद भगवान विष्णु को चढ़ाई गई मिठाई को प्रसाद के रूप में खुद भी ग्रहण करें और दूसरों के बीच भी बाटें।
9.मत्स्य जयंती के दिन मछलियों को आटे की गोली खिलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए मछलियों को आटे की गोली अवश्य खिलाएं।
10.यदि आपके घर के आस-पास मछलियां न हो तो आप किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन का दान भी कर सकते हैं।
मत्स्य जयंती 2023 तिथि (Matsya Jayanti 2023 Date)
24 मार्च 2023
मत्स्य जयंती का शुभ मुहूर्त (Matsya Jayanti Shubh Muhurat)
मत्स्य जयन्ती मुहूर्त - दोपहर 1 बजकर 41 मिनट से शाम 4 बजकर 08 मिनट तक (24 मार्च 2023)
तृतीया तिथि प्रारम्भ - शाम 6 बजकर 20 मिनट से (23 मार्च 2023)
तृतीया तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 4 बजकर 59 मिनट तक (24 मार्च 2023)
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