शुक्र अस्त होने से 20 नवंबर तक नहीं हो सकेंगे मांगलिक कार्य
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र गोचर का काफी महत्व है। शुक्र को सुख, संपदा, वैभव, ऐश्वर्य और धन आदि का कारक माना गया है। 2 अक्टूबर को शुक्र ग्रह कन्या राशि में अस्त हो गया है। इसके बाद 20 नवंबर को उदय होगा। इस ग्रह के अस्त होने के दौरान शुभ काम नहीं किए जाते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष के बृहत्संहिता ग्रंथ के अनुसार शुक्र के अस्त होने से मौसम में अचानक बदलाव हो सकता है। इस दौरान देश में कई जगह अचानक बारिश होने की संभावना बन रही है। किसी ग्रह का अस्त होना बहुत महत्वपूर्ण घटना है। हर साल कुछ दिनों के लिए आकाश में ग्रह दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि वे सूर्य के बहुत करीब आ जाते हैं। इसे ग्रह का अस्त या लोप होना भी कहा जाता है।
शुक्र अस्त और उदय का समय
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 2 अक्टूबर से 20 नवंबर तक सूर्य से शुक्र की दूरी 10 डिग्री से भी कम रहेगी। इसी स्थिति को शुक्र का अस्त होना कहा जाता है। अस्त होने पर इस ग्रह का असर कम हो जाएगा। इस साल ये 50 दिनों के लिए अस्त हो रहा है।
शुक्र ग्रह अस्त
2 अक्टूबर को सुबह 5.50 पर
शुक्र ग्रह उदय
20 नवम्बर को शाम 5.50 तक
शुक्र ग्रह के अस्त होने का प्रभाव
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्र ग्रह जब अस्त होता है तो ऐसी स्थिति में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है जैसे विवाह, गृह प्रवेश इत्यादि। जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र अस्त अवस्था में होता है तो जातक के विवाह में बाधा आती है। उसके प्रेम संबंध में सफलता नहीं मिलती। शुक्र ग्रह से संबंधित राशियों को सतर्कता बरतनी चाहिए। शुक्र के अशुभ स्थान पर होने पर वैवाहिक जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान व्यक्ति के सुखों में भी कमी आती है। शुक्र इस दौरान जातक के दांपत्य सुख पर भी असर डालते हैं।
नहीं हो सकेंगे शुभ काम
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुभ और मांगलिक मुहूर्त में गुरु और शुक्र का उदय रहना बहुत ही जरूरी होता है। इनके अस्त होने पर किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जा सकते हैं। 2 अक्टूबर को पश्चिम दिशा में शुक के अस्त होने से विवाह, मुण्डन, सगाई, गृहारम्भ, गृह प्रवेश, सूरज पूजा, प्रॉपर्टी और अन्य मांगलिक कामों की खरीदारी नहीं की जा सकती है।
शुभ विवाह मुहूर्त 2022
नवंबर 25, 26, 28 और 29 नवंबर
दिसंबर 01, 02, 04, 07, 08, 09 और 14 दिसंबर
(कुछ पंचांग में भेद होने के कारण तिथि घट बढ़ सकती है और परिवर्तन हो सकता है। )
तारा डूबने पर क्या है वर्जित
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्री के मुताबिक तारा डूबने पर विवाह, मुंडन, यज्ञोपवित संस्कार, शिलान्यास, शपथ ग्रहण, गृहप्रवेश एवं अन्य मांगलिक कार्य त्याज्य है। पुराने या मरम्मत किए गए गए मकान में गृहप्रवेश के लिए तारा डूबने पर विचार नहीं किया जाता है। यात्रा करने के दौरान शुक्र का सामने और दाहिने होना भी त्याज्य है।
10 अंश के अंतर पर अस्त होता है शुक्र
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि जिस प्रकार किसी भी ग्रह का सूर्य के नजदीक आना उसे अस्त कर सकता है, ठीक उसी प्रकार जब शुक्र ग्रह का गोचर होता है और वह किसी विशेष स्थिति में सूर्य के इतना समीप आ जाता है कि उन दोनों के मध्य 10 अंश का ही अंतर रह जाता है तो शुक्र ग्रह अस्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में शुक्र के मुख्य कारक तत्वों में कमी आ जाती है और वह अपने शुभ फल देने में कमी कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में स्नेह और प्रेम बरकरार रहे और सभी प्रकार के सुख उसे प्राप्त होते रहें। इसके लिए शुक्र ग्रह का मजबूत होना अति आवश्यक है। शुक्र एक कोमल ग्रह है और सूर्य एक क्रूर ग्रह। इसलिए जब शुक्र अस्त होता है तो उसके शुभ परिणामों की कमी हो जाती है और ऐसे में व्यक्ति कई प्रकार के सुखों से वंचित हो सकता है।
ठंड बढ़ने और बारिश की संभावना
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में शुक्र को वैभव, भौतिक सुख, संपन्नता, भोग विलास, प्रेम और धन-संपत्ति का कारक माना जाता है। शुक्र के अस्त होने से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। इस दौरान अर्थव्यस्था जुड़ी बड़ी योजनाओं में रुकावटें या देरी होगी। शेयर मार्केट में भी इस दौरान काफी हलचल दिख सकती है। निवेश बहुत सावधानी से करना होगा। कपड़े के बिजनेस में मंदी आएगी। साथ ही देश के कुछ हिस्सों में बर्फबारी और बारीश आने की संभावना है। प्राकृतिक आपदा की भी आशंका है।
शुक्र के उपाय
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मां लक्ष्मी अथवा मां जगदम्बा की पूजा करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें। शुक्रवार का व्रत रखें और उस दिन खटाई न खाएं। चमकदार सफेद एवं गुलाबी रंग का प्रयोग करें। श्री सूक्त का पाठ करें। शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र, दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि वस्तुएं दान करें।
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