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Importance of Govardhan Puja: जानिए क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व

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Importance of Govardhan Puja

Importance of Govardhan Puja: भारत में प्रत्येक त्योहार अत्यंत उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। ऐसा ही एक त्यौहार है दिवाली (Diwali) यह हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक बड़ा त्योहार है। दिवाली कुल मिलाकर पांच दिवसीय त्योहार माना जाता है, जिसमें से एक दिन गोवर्धन पूजा को समर्पित होता है। इस दिन को अन्नकूट पूजा (Annakoot Puja) के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देव का अहंकार तोड़ने का प्रतीक है।

इस शुभ दिन पर लोग गाय के गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा और क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व आइए जानते हैं... 

गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Ka Mahatva)

गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन की जाती है। इस दिन विशेष रूप से गाय और बैलों की पूजा की जाती है। गोवर्धन पर्वत ब्रज में स्थित है। यह पर्वत द्वापर युग से ही यहीं स्थित है। गोवर्धन पर्वत को पर्वतों का राजा माना जाता है। हालांकि यमुना नदी भी द्वापर युग से ही पृथ्वीं पर स्थित है। 

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लेकिन यमुना नदी समय-समय पर अपनी दिशा बदलती रही है। इस पर्वत को भगवान श्री कृष्ण का ही रूप माना जाता है। पुराणों में भी इस पर्वत का महत्व बताते हुए कहा गया है कि गोवर्धन पर्वतों के राजा और हरि के प्रिय हैं। इसके समान पृथ्वीं और स्वर्ग में कोई तीर्थ नहीं है।

पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने व्रज वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने और गो धन की रक्षा के लिए इस पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाया था और इस तरह से उन्होंने इंद्र का घमंड भी तोड़ा था। गोवर्धन पूजा गौ माता के महत्व को दर्शाती है। 

क्योंकि गौ माता मनुष्य के जीवन में एक विशेष महत्व रखती हैं। गौ माता से ही मनुष्य को जीवन की सभी चीजें प्राप्त होती है। इसी कारण से हर साल दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। 


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