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When is Karwa Chauth in 2025: करवा चौथ 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और करवा चौथ की कथा

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When is Karwa Chauth in 2025

When is Karwa Chauth in 2025: भारत त्योहारों और रीति-रिवाजों का देश है। देश के उत्तरी भाग में मनाए जाने वाले प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक करवा चौथ है। जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर करवा चौथ का त्योहार (Karwa Chauth Festival) मनाती हैं। 

करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है, करवा का अर्थ है मिट्टी के तेल का दीपक और चौथ का अर्थ है चतुर्थी तिथि। करवा चौथ का यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं करवा चौथ 2025 में कब है (Karwa Chauth 2025 Mein Kab Hai), करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Ka Shubh Muhurat and Karwa Chauth Story)


करवा चौथ 2025 तिथि (Karwa Chauth 2025 Date) 

10 अक्टूबर 2025

करवा चौथ 2025 शुभ महुर्त (Karwa Chauth 2025 Subh Muhurat)

करवा चौथ पूजा मुहूर्त - शाम 5 बजकर 57 मिनट से शाम 7 बजकर 11 मिनट तक (10 अक्टूबर 2025)

करवा चौथ व्रत समय - सुबह 6 बजकर 19 मिनट से रात 8 बजकर 13 मिनट तक (10 अक्टूबर 2025)

करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय - रात 8 बजकर 13 मिनट (10 अक्टूबर 2025)

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ -  रात 10 बजकर 54 मिनट से (09 अक्टूबर 2025)

चतुर्थी तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 07 बजकर 38 मिनट तक (10 अक्टूबर 2025)


करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Ki Katha)

करवा चौथ की पौराणिक कथाओं में से एक कथा वीरवती नाम की एक खूबसूरत रानी के बारे में है। जिसका विवाह एक राजा से हुआ था वीरवती के सात भाई थे। शादी के पहले साल में उसने पहला करवा चौथ का व्रत अपने घर पर ही रखा।

उस दिन जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, वीरवती को प्यास और भूख लगने लगी। वह बेचैन हो गई और उसके लिए उपवास रखना कठिन हो गया। हालांकि, उसने फिर भी कुछ भी खाने या पीने से इनकार कर दिया। उसके भाई उसकी पीड़ा नहीं देख सके और उन्होंने इसका समाधान निकालने का फैसला किया।

उन्होंने अपने महल के पीछे एक पीपल के पेड़ से एक दर्पण बनाया और वीरवती को विश्वास दिलाया कि चंद्रमा उग आया है। जिस पर वीरवती ने विश्वास कर लिया और अपना व्रत तोड़ दिया। लेकिन इसके बाद उसे तुरंत ही खबर मिली कि उसके पति की मौत हो गई है। जिससे वह पूरी तरह से टूट गई और अपने पति के घर चली गई।

लेकिन अपने पति के घर जाने से पहले वह भगवान शिव और देवी पार्वती के पास रुकी, जिन्होंने उन्हें पूरी सच्चाई बताई। मां पार्वती ने अपनी उंगली काटकर रक्त की कुछ बूंदें वीरवती को दीं। 

वीरवती ने उस पवित्र रक्त को अपने पति के शव पर छिड़का और वीरवती के त्याग, अपार प्रेम और भक्ति के कारण उसका पति जीवित हो गया और इसके बाद उसने कभी भी करवा चौथ के व्रत में कोई भी गलती नहीं की। जिससे उसके पति को दीर्घायु प्राप्त हुई।



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