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Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi: यहां जानें काल भैरव जयंती की पूजा विधि

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Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi

Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi: काल भैरव भगवान शिव (Lord Shiva) का रौद्र रूप है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इसलिए यह त्योहार काल भैरव के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है। यह दिन तब अधिक शुभ माना जाता है जब यह मंगलवार या रविवार को पड़ता है क्योंकि ये दिन भगवान काल भैरव को समर्पित होते हैं। इस त्योहार को महाकाल भैरव अष्टमी या काल भैरव अष्टमी (Maha Kaal Bhairava Ashtami or Kaal Bhairav Ashtami) भी कहा जाता है।

इस दिन विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं और अधिकांश भक्त भगवान काल भैरव की दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन अपने निकटतम काल भैरव मंदिर में जाते हैं। माना जाता है कि जो भी इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसे किसी भी प्रकार की भूत प्रेत आदि की बाधा नहीं सताती और साथ ही उसके जीवन के सभी कष्ट भी समाप्त होते हैं तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं काल भैरव जयंती की पूजा विधि पर एक नजर...

काल भैरव जयंती पूजन विधि (Kaal Bhairav Jayanti Pujan Vidhi)

1. काल भैरव जयंती के दिन साधक को ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.इसके बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए। क्योंकि काल भैरव जयंती के दिन पितरों का तर्पण बहुत ही आवश्यक माना जाता है। 

3. भगवान काल भैरव की पूजा रात में की जाती है। इस दिन भगवान काल भैरव और शिव पार्वती जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए।

4. भैरव बाबा को आधी रात के समय भगवान काल भैरव को काले तिल, उड़द और सरसों का तेल अर्पित करना चाहिए।

5. इसके बाद काल भैरव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

6. मंत्र जाप करने के बाद काल भैरव को काले तिल और उड़द से बनी वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए।

7. भोग लगाने के बाद काल भैरव की शंख, नगाड़ो और घंटे से आरती उतारनी चाहिए।

8. इसके बाद काले कुत्ते की पूजा अवश्य करें क्योंकि काले कुत्ते को भगवान भैरव की सवारी माना जाता है।

9. कुत्ते की पूजा के बाद उसे कुछ अवश्य खिलाना चाहिए। यदि आपको काला कुत्ता न मिले तो आप किसी भी कुत्ते की पूजा करके उसे कुछ अवश्य खिलाएं।

10. इसके बाद अगले दिन किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को काले रंग की वस्तुओं का दान अवश्य करें।

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