Paush Amavasya 2022 Date: पौष अमावस्या 2022 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Paush Amavasya 2022 Date |
Paush Amavasya 2022 Date: पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदीं में स्नान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है, यह दिन पितरों की शांति के लिए अत्यंत विशेष माना जाता है। जो भी व्यक्ति इन दिन अपने पित्तरों को तर्पण करता है उसे अपने पित्तरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है तो चलिए जानते हैं पौष अमावस्या 2022 में कब है (Paush Amavasya 2022 Mai kab Hai), पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त (Paush Amavasya Shubh Muhurat), पौषअमावस्या का महत्व (Paush Amavasya Ka Mahatva) और पौष अमावस्या की पूजा विधि (Paush Amavasya Puja Vidhi)
पौष अमावस्या का महत्व (Paush Amavasya Ka Mahatva)
पौष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या कहते हैं। यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी है। जीवन में सुख और शांति के लिए पौषअमावस्या का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध भी किया जाता है। यदि अमावस्या सोम, मंगल, गुरु या शनिवार के हो तो यह सूर्यग्रहण से भी अधिक फल देने वाली होती है।
यह दिन काल सर्प दोष, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष की मानी जाती है। ऐसी मान्यता है की पितरो के मोक्ष और सदगति के लिए अमावस्या का व्रत करना चाहिए।इस व्रत को करने से न केवल पितरों को मोक्ष एंव शांति मिलती है बल्कि व्रतधारी को अमोघ फल की प्राप्ति भी होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य करना काफी शुभ माना जाता है। यदि यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़े तो अत्यंत ही शुभ मानी जाती है।
पौष अमावस्या की पूजा विधि (Paush Amavasya Ki Puja Vidhi)
1. पौष अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना सबसे ज्यादा क्षेष्ठ माना जाता है। इससे पितरों को मुक्ति मिलती है।
2. इस दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए। इसके बाद बिना सीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
3. इसके बाद यदि संभव हो तो किसी पुरोहित से तर्पण कराएं या फिर आप स्वंय भी तर्पण कर सकते हैं।
4. इसके बाद जहां पर आपके पितरों का स्थान है या फिर जहां पर उनकी तस्वीर लगी हुई है। उसके नीचे के स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें।
5. इसके बाद उस स्थान पर एक देशी घी का दीपक जला दें। इसके बाद अपने पूर्वज की तस्वीर पर सफेद चंदन का तिलक करें और उन्हें सफेद रंग के फूल अर्पित करें।
6. इसके बाद उनसे प्रार्थना करें कि हे पितृ देव हे मेरे पूर्वजों आज की रात मैं जो भी प्रार्थना करूं, जो भी पूजा करूं वह सफल हो।मुझे अपना आर्शीवाद प्रदान करें। जिससे मेरे सभी काम सफल हो।
7. इसके बाद उस सफेद कपड़े को पितरो के पूजा स्थान या फिर अपने पूर्वजों की तस्वीर के नीचे रख दें। इसके बाद उन्हें खीर और पूरी का भोग लगाएं।
8. ऐसा करने बाद हाथ जोड़कर उन्हें नमन करें और उनसे पूजा में हुई किसी भी भूल के श्रमा अवश्य मांगे।
9. इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन अवश्य करांए और उन्हें वस्त्र और दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर उनका आर्शीवाद लें।
10. अंत में पितरों को भोग लगाई खीर और पूरी को किसी गाय को खिला दें और उसमें कुछ को प्रसाद के रूप में परिवार के साथ ग्रहण करें।
पौष 2022 तिथि (Paush Amavasya 2022 Tithi)
23 दिसंबर 2022
पौष अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त (Paush Amavasya 2022 Subh Muhurat)
अमावस्या तिथि प्रारंभ - शाम 7 बजकर 13 मिनट से (22 दिसंबर 2022)
अमावस्या तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 3 बजकर 46 मिनट तक (23 दिसंबर 2022)
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