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Shattila Ekadashi 2023 kab Hai: षटतिला एकादशी 2023 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि


Shattila Ekadashi 2023 kab Hai: षटतिला एकादशी 2023 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Shattila Ekadashi 2023 kab Hai


Shattila Ekadashi 2023 kab Hai: माघ मास के कृष्ण की एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उन्हें तिल से बनी हुई वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। षटतिला एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को कन्यादान, स्वर्णदान और हजारों वर्ष की तपस्या का फल प्राप्त होता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं षटतिला एकादशी 2023 में कब है (Shattila Ekadashi 2023 Mein Kab Hai), षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi Shubh Muhurat),षटतिला एकादशी का महत्व और षटतिला एकादशी की पूजा विधि (Shattila Ekadashi Importance and Shattila Ekadashi Puja Vidhi)

षटतिला एकादशी का महत्व (Shattila Ekadashi Ka Mahatva) 

पुराणों में षटतिला एकादशी का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। जो व्यक्ति षटतिला एकादशी का व्रत करता है। उसे कन्यादान और स्वर्णदान का फल प्राप्त होता है। इतना इस मात्र एक व्रत का फल हजारों साल तक की तपस्या के बराबर बताया गया है। यह व्रत मनुष्य को न केवल जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति कराता है। बल्कि इस व्रत के करने से मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में स्थान भी प्राप्त होता है।

षटतिला एकादशी में छह प्रकार के तिलों के प्रयोग के बारे में बताया गया है। पहला तिल मिलाकर जल से स्नान करना, दूसरा तिल के तेल से मालिश करना, तीसरा तिल के तेल से हवन करना, चौथा तिल के पानी को ग्रहण करना, पांचवा तिल का दान करना और छठा तिल से बनी चीजों का सेवन करना।

षटतिला एकादशी की पूजा विधि (Shattila Ekadashi Ki Puja Vidhi)

1.षटतिला एकादशी दशमी तिथि से ही शुरु हो जाता है। इसलिए षटतिला एकादशी के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही करें।

2. षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें। लेकिन काले और नीले रंग के वस्त्र बिल्कुल भी धारण न करें। 

3. इसके बाद एक साफ चौकी पर गंगाजल के छिंटे मारकर उस पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। 

4. इसके बाद उस प्रतिमा या तस्वीर को पंचामृत से स्नान कराएं जिसमें तुलसी दल अवश्य हो। इसके बाद दुबारा भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं। 

5. इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के फूलों की माला पहनाएं और उन्हें पीले वस्त्र, पीले रंग के फूल, पीले रंग के फल , काले और सफेद तिल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। 

6. इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्र ऊं नमों भगवते वासुदेवाय नम: या ऊं नमों नारायणाय मंत्र का जाप करें और विष्णु सहस्त्रनाम का भी पाठ करें। 

7. मंत्र जाप करने के बाद तिलों से हवन अवश्य करें। इसके बाद भगवान विष्णु को तिलों से बनी चीजों का भोग लगाएं। 

8.भोग लगाने के बाद भगवान विष्णु की धूप व दीप से आरती उतारें। 

9.आरती उतारने के बाद भगवान के बाद किसी ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं। 

10. भोजन कराने के बाद उस ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को तिलों का दान दक्षिणा सहित अवश्य करें।क्योंकि इस दिन तिलों के दान को अधिक महत्व दिया जाता है।

षटतिला एकादशी 2023 तिथि (Shattila Ekadashi 2023 Tithi)

28 जनवरी 2022

षटतिला एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi 2023 Subh Muhurat) 

एकादशी तिथि प्रारम्भ - रात 2 बजकर 16 मिनट से (28 जनवरी 2022) 

एकादशी तिथि समाप्त- रात 11 बजकर 35 मिनट तक (28 जनवरी 2022)


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