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Govatsa Dwadashi 2022 Kab Hai: गोवत्स द्वादशी 2022 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

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Govatsa Dwadashi 2022 Kab Hai

 Govatsa Dwadashi 2022 Kab Hai: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। इस दिन को बछ बारस, वसु बरस और नंदिनी व्रत (Govatsa Dwadashi, Vasu Baras, Nandani Vrat) आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। मान जाता है गोवत्स द्वादशी को गायों की पूजा करने से सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं गोवत्स द्वादशी 2022 में कब है (Govatsa Dwadashi Mein Kab Hai), गोवत्स द्वादशी का शुभ मुहूर्त (Govatsa Dwadashi Ka Shubh Muhurat), गोवत्स द्वादशी का महत्व और गोवत्स द्वादशी की पूजा विधि (Govatsa Dwadashi Importance and Govatsa Dwadashi Puja Vidhi)

गोवत्स द्वादशी का महत्व (Govatsa Dwadashi Ka Mahatva)

गायों को हिंदू पुराणों के अनुसार बहुत ही ज्यादा पूजनीय माना जाता है और उन्हें परमात्मा की अभिव्यक्ति माना जाता है। इसी कारण से हर साल दिवाली से ठीक पहले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। इस दिन को बछ बरस, वसु बरस और नंदिनी व्रत आदि नामों से भी जाना जाता है। इस त्योहार को विशेष रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है, जहां गायों और बछड़ों की विशेष पूजा की जाती है। 

गोवत्स द्वादशी को लेकर एक कथा भी प्रचलित है। जिसके अनुसार जिस समय देवताओं और राक्षसों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था, उस समय समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक कामधेनु गाय भी थी। जिन्हें देवताओं ने अपने पास रख लिया था। वहीं इसके अलावा गाय भगवान श्री कृष्ण को भी बहुत अधिक प्रिय थीं। इसलिए हर साल इस दिन गायों और बछड़ों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपने घर में सुख और समृद्धि के लिए व्रत भी रखती हैं।


गोवत्स द्वादशी पूजन विधि (Govatsa Dwadashi Pujan Vidhi)

1.गोवत्स द्वादशी के दिन गाय की विशेष पूजा की जाती है। सबसे पहले उन्हें स्नान कराया जाता है और फिर उनके माथे पर सिंदूर लगाया जाता है। गायों और उनके बछड़ों को फिर चमकीले कपड़ों और फूलों की माला से से सजाया जाता है।

2. वहीं जिन लोगों के पास गाय नहीं हैं। वे इस दिन मिट्टी की गाय और बछड़े की मूर्ति की पूजा कर सकते हैं। वह कुमकुम और हल्दी से मूर्ति को सजा सकते है।

3. इसके बाद गायों को चना और अंकुरित मूंग जैसे विभिन्न प्रसाद खिलाएं। इस प्रसाद को पृथ्वी पर नंदिनी का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद शाम को गाय की आरती करें।

4.भक्त इस दिन भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा करते हैं, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं और गायों के प्रति गहरी कृतज्ञता और प्रेम रखते हैं।

5. इस दिन गाय का दूध,दही और घी का सेवन नहीं किया जाता। इसलिए भूलकर भी इनका सेवन न करें।

गोवत्स द्वादशी 2022 तिथि (Govatsa Dwadashi 2022 Date)

21 अक्टूबर 2022

गोवत्स द्वादशी 2022 शुभ मुहूर्त (Govatsa Dwadashi 2022 Shub Muhurat)

प्रदोषकाल गोवत्स द्वादशी मुहूर्त - शाम 6 बजकर 07 मिनट से रात 8 बजकर 44 मिनट तक (21 अक्टूबर 2022)

द्वादशी तिथि प्रारम्भ -   सुबह 7 बजकर 52 मिनट से (21 अक्टूबर 2022)

द्वादशी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 8 बजकर 32 मिनट तक (22 अक्टूबर 2022)


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