14 जनवरी तक रहेगी हेमंत ऋतु, सेहत के नजरिये से भी खास होती हैं हेमंत ऋतु
पिछले साल 16 नवंबर को सूर्य के वृश्चिक राशि में आने से हेमंत ऋतु शुरू हो गई थी। इस दौरान ठंड की शुरुआत होगी। इस ऋतु में अगहन और पौष महीने रहेंगे। ये दक्षिणायन की आखिरी ऋतु होती है। जो कि 14 जनवरी तक रहेगी। फिर मकर संक्रांति पर सूर्य के राशि बदलने से शिशिर ऋतु के साथ उत्तरायण भी शुरू हो जाएगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हेमंत को पितरों की ऋतु भी कहा गया है।
इस दौरान सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा-पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इस ऋतु में सूर्य वृश्चिक और धनु राशि में रहता है। सूर्य की इस स्थिति के प्रभाव से धर्म और परोपकार के विचार आते हैं। साथ ही इस ऋतु के दौरान मन भी शांत रहता है। शीतल वातावरण में मन प्रसन्न भी रहता है मन की ये स्थिति पूजा-पाठ और भगवद भजन के लिए अनुकूल मानी गई है। इसलिए इस ऋतु में नदी स्नान और श्रीकृष्ण पूजा के साथ ही अन्य पूजा-पाठ एवं स्नान दान की परंपराए बनाई गई हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हेमंत को रोग दूर करने वाली ऋतु कहा गया है। इस ऋतु में डाइजेशन अच्छा होने लगता है। भूख बढ़ने लगती है। साथ ही इस दौरान खाई गई सेहतमंद चीजें भी शरीर को जल्दी फायदा देती हैं। इसलिए इस ऋतु में शारीरिक ताकत बढ़ने लगती है। इस ऋतु में ताजी हवा और सूर्य की पर्याप्त रोशनी सेहत के लिए फायदेमंद होती है। यही कारण है कि इस ऋतु में सुबह नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में लिखा है। सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां खत्म हो जाती हैं।
पितरों की ऋतु
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों में हेमंत को पितरों की ऋतु बताया है। इसलिए अगहन मास में पितरों के लिए विशेष पूजा और दान करने का विधान है। वहीं पौष महीने में सूर्य पूजा से पितरों को संतुष्ट किया जाता है। इस दौरान सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा-पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
स्नान-दान और पूजा
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हेमंत ऋतु के दौरान मन शांत और प्रसन्न रहता है। ये स्थिति पूजा-पाठ और भगवत भजन के लिए अनुकूल मानी गई है। इसलिए इस ऋतु में श्रीकृष्ण पूजा के साथ स्नान दान की परंपराए भी बनाई गई हैं। ज्योतिषिय नजरिये से देखा जाए तो इस ऋतु के दौरान सूर्य वृश्चिक और धनु राशि में होता है। सूर्य की इस स्थिति के प्रभाव से धर्म और परोपकार के विचार आते हैं।
बढ़ती है ताकत
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हेमंत को रोग दूर करने वाली ऋतु कहा गया है। इस ऋतु में डाइजेशन अच्छा होने लगता है। भूख बढ़ने लगती है। साथ ही इस दौरान खाई गई सेहतमंद चीजें भी शरीर को जल्दी फायदा देती हैं। इसलिए इस ऋतु में शारीरिक ताकत बढ़ने लगती है। इस ऋतु में ताजी हवा और सूर्य की पर्याप्त रोशनी सेहत के लिए फायदेमंद होती है। यही कारण है कि इस ऋतु में सुबह नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में लिखा है। सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां खत्म हो जाती हैं।
दक्षिणायन की आखिरी ऋतु
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि ठंड के शुरुआती दिनों में हेमंत ऋतु होती है। इस दौरान खाई गई चीजों से शरीर की ताकत बढ़ने लगती है। इस ऋतु में सूर्य, वृश्चिक और धनु राशियों में रहता है। मंगल और बृहस्पति की राशियों में सूर्य के आ जाने से मौसम में अच्छे बदलाव होने लगते हैं। इसलिए भूख भी बढ़ने लगती है। इस ऋतु के खत्म होते ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। यानी उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है।
सुबह का वातावरण स्वास्थ्य के लिए होता है वरदान
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सुबह-सुबह का वातावरण स्वास्थ्य के लिए वरदान है, क्योंकि सुबह के समय वायु में प्रदुषण की मात्रा बहुत कम होता है। सुबह की ताजी हवा में सांस लेने से हमें शुद्ध प्राण वायु ऑक्सीजन मिलती है। जैसे-जैसे दिन बढ़ने लगता है, सड़कों पर वाहन आने लगते हैं तो हवा की शुद्धता कम होने लगती है। इसलिए सुबह सैर करने की सलाह डॉक्टर्स भी देते हैं। ठंड के दिनों में सूर्य पूजा करने से, सूर्य की रोशनी में रहने से हमारी पाचन शक्ति को लाभ मिलता है।
सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते समय इन बातों का ध्यान रखें
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस माह में सुबह सूर्योदय से पहले जागने की कोशिश करनी चाहिए। जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य अर्पित करें। सूर्य के मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। जल चढ़ाते समय लोटे से गिरती हुई जल की धारा में सूर्य के दर्शन करना चाहिए। सूर्य को सीधे देखने से बचें। जल चढ़ाने के बाद जमीन पर गिरे जल को अपने माथे पर लगाना चाहिए। ध्यान रखें सूर्य को अर्घ्य ऐसी जगह पर अर्पित करें, जहां जमीन पर गिरे जल पर किसी का पैर न लगे।
कर सकते हैं ये शुभ काम
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हेमंत ऋतु में सूर्य पूजा के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की भी विशेष पूजा की जा सकती है। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, जनेऊ, हार-फूल, चंदन और धतुरा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो हनुमान जी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
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