Holi Ki Puja Vidhi: यहां देखें होली की संपूर्ण पूजा विधि
Holi Ki Puja Vidhi |
Holi Ki Puja Vidhi: होली को भारत के सबसे पूजनीय त्योहारों में से एक माना जाता है और यह देश के लगभग हर हिस्से में मनाया जाता है। इस त्योहार को "प्यार का त्योहार" भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन लोग एक-दूसरे के प्रति सभी प्रकार की नाराजगी और सभी प्रकार की बुरी भावनाओं को भूलकर एक साथ एकजुट होते हैं और रंग लगाते हैं। होली का यह त्योहार एक नहीं बल्कि मुख्य रूप से दो दिनों तक मनाया जाता है, जो फाल्गुन महीने के दिन शुरू होता है। इस त्योहार के पहले दिन होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है। जिसे छोटी होली (Choti Holi) के नाम से जाना जाता है और अगले दिन रंगों के द्वारा होली खेली जाती है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसके अलावा त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। होली के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ रंगों से खेलते हैं और शाम को अबीर के साथ अपने करीबियों के प्रति प्यार और सम्मान दिखाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा की जाती है। अगर नहीं तो आज हम आपको होली की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं होली की पूजा विधि पर एक नजर।
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होली पूजन की विधि (Holi Pujan Vidhi)
1. होलिका पूजन शाम के समय किया जाता है। इसलिए पूजा से पहले आप स्नान अवश्य करें और साफ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद आप अपने आस-पास जहां होलिका बनी हो वहां जाकर पूजन करें। आप चाहें तो घर पर ही गाय के गोबर के उपलों से होलिका बना सकते हैं।
3. होलिका पूजन के समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ करें और अपने आस-पास पानी की कुछ बूंदे अवश्य छिड़कें।
4.सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करके उनका पूजन करें और फिर पूजन की थाली में रोली,कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक लोटा पानी अवश्य लें।
5. इसके बाद भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का ध्यान करें और होलिका पर रोली , चावल,फूल,बताशे अर्पित करें और मौली को होलिका के चारों और लपेटें।
6. मौली लपेटने के बाद प्रह्लाद का नाम लेकर होलिका पर फूल चढ़ाएं और नरसिंह भगवान का नाम लेकर पांच अनाज होलिका पर अर्पित करें।
7. इसके बाद अपना नाम लें, अपने पिता का नाम लें और अपने गोत्र का नाम लें और होलिका पर चावल चढ़ाएं।
8. अंत में होलिका की सात या ग्यारह परिक्रमा करें।
9.इसके बाद होलिका दहन के समय होलिका की अग्नि में गुलाल डालें और अपने बड़ों के पैरों में गुलाल लगाकर उनका आर्शीवाद लें।
10. होलिका दहन अग्नि में बालें बुझने भी बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए होलिका की अग्नि में बालें बुझें और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को यह बाले देकर होली की शुभकामनाएं दें।
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