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Chaitra Navratri Puja Vidhi: जानिए क्या है चैत्र नवरात्रि की संपूर्ण पूजा विधि

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Chaitra Navratri Puja Vidhi

Chaitra Navratri Puja Vidhi: 'नवरात्रि' का वास्तविक अर्थ 'नौ रातें' है और इसे हिंदू धर्म में अत्याधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। एक वर्ष में चार 'नवरात्र' आते हैं। जो माघ नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाने जाते हैं। इनमें से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि (Chaitra Navratri and Shardiya Navratri) को अधिक महत्व दिया जाता है। वहीं माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना है। क्योंकि इन दोनों नवरात्रि में मां दुर्गा (Goddess Durga) की गुप्त रूप से पूजा की जाती है। 

लेकिन चैत्र नवरात्रि बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण मानी है। क्योंकि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से ही हिंदू नववर्ष का प्रारंभ होता है। इसके अलावा इस दिन से गर्मियों का भी प्रारंभ होता है। चैत्र नवरात्रि में उपवास करने से शरीर मौसम के बदलाव के लिए पूरी तरह से तैयार होता है। इसी वजह से इस नवरात्रि को भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अधिक महत्व दिया जाता है। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा और उपवास करने से कई प्रकार के लाभ भी प्राप्त होते हैं और जीवन के सभी कष्टों से भी मुक्ति मिलती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं क्या है चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि।

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मां दुर्गा पूजन विधि (Goddess Durga Pujan Vidhi)

1. चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि का दिन अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है। इसलिए इस दिन आपको सुबह सूर्योदय से पहले ही उठ जाना चाहिए और स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद जहां आपको माता की चौकी लगानी है। उस स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें और एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कर उसके ऊपर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।

3.चौकी पर वस्त्र बिछाने के बाद एक कलश लें।कलश का चुनाव आप अपनी इच्छा के अनुसार कर सकते हैं आप चाहें तो मिट्टी का कलश भी ले सकते हैं। इसके बाद कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उस कलश में पानी भरें और फिर उस कलश में थोड़ा सा गंगाजल,सुपारी और एक रूपए का सिक्का डालें और उस कलश के मुहं पर मौली बांधें 

4. इसके बाद एक नारियल को लाल रंग की चुन्नी से लपेट कर कलश के ऊपर स्थापित करें और उस कलश को चौकी पर स्थापित कर दें। 

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5. इसके बाद एक मिट्टी के बर्तन में ज्वार डालकर उसे बोएं और फिर चौकी मां दुर्गा की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें। सबसे पहले मां दुर्गा को लाल रंग की चुन्नी अर्पित करें और फिर उनका रोली से तिलक करें। मां दुर्गा का तिलक करने के बाद कलश और नारियल का भी तिलक करें।

6.तिलक करने के बाद मां दुर्गा को लाल रंग के फूलो की माला पहनाएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें और उनके धूप व दीप जलाएं और मां दुर्गा को पांच फल, श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। 

7.इसके बाद गाय के गोबर का उपला जलाकर उस पर घी,दो लौंग,कपूर बताशे आदि की आहूति दें और इसके बाद मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और यदि संभव हो तो नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।

8. मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करने के बाद मां दुर्गा को की कपूर से आरती उतारें और उन्हें बताशों का भोग लगाएं और पूजा स्थल से उठने से पहले मां दुर्गा से पूजा मे हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें और अंत में बताशों को प्रसाद स्वरूप घर के सभी लोगों के बीच में बांटे।


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