Chaitra Navratri Significance: जानिए क्या है चैत्र नवरात्रि का महत्व
Chaitra Navratri Significance: चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो नौ दिनों तक मनाया जाता है और यह आम तौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में आता है। जिसमें मां दुर्गा (Goddess Durga) की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है चैत्र नवरात्रि के अलावा भी साल भर में तीन और नवरात्रि आती है। जिसे माघ नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इनमें से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि (Chaitra Navratri and Shardiya Navratri) को अधिक महत्व दिया जाता है।
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वहीं माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना है। क्योंकि इन दोनों नवरात्रि में मां दुर्गा की गुप्त रूप से पूजा की जाती है। नौ दिनों तक मनाए जाने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और उनसे जीवन के सभी कष्टों को समाप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है। महाराष्ट्र में इस त्योहार को गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है और वहीं आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा और क्या है चैत्र नवरात्रि की महत्व आइए जानते हैं...
चैत्र नवरात्रि का महत्व (Chaitra Navratri Importance)
भारत में चैत्र नवरात्रि और अश्विन मास की नवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। क्योंकि चैत्र नवरात्रि से गर्मियों का प्रारंभ होता है और अश्विन मास की नवरात्रि से सर्दियों का प्रारंभ होता है। इन दोनों ही समय में ऋतुओं का परिवर्तन होता है और नवरात्रि में उपवास करने से शरीर मौसम के बदलाव के लिए पूरी तरह से तैयार होता है। इसलिए नवरात्रि को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व दिया जाता है।
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चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और साथ ही मां दुर्गा की चौकी लगाई जाती है और नौ दिनों तक मां दुर्गा की उसी स्थान पर पूजा अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना को अत्यंत ही विशेष माना जाता है। क्योंकि कलश स्थापना का ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना जाता है और कलश स्थापना से न केवल घर में शुद्धि होती है बल्कि घर में सुख और संपन्नता भी आती है।इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों तक अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। जिसे नौ दिनों तक बिल्कुल भी बुझने नहीं दिया जाता।
नवरात्रि में लोग नौ दिनों तक उपवास करके मां दुर्गा की प्रति अपनी भक्ति भावना व्यक्त करते हैं।वहीं जो लोग पूरी नवरात्रि व्रत नहीं रख सकते,वह पहले और आखिरी नवरात्र पर व्रत रखकर मां के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। माना जाता है नवरात्रि में पहले तीन दिन की ऊर्जा मां दुर्गा को समर्पित होती है और अगले तीन दिन की ऊर्जा मां लक्ष्मी को अंतिम दिन की ऊर्जा मां सरस्वती को समर्पित होती है।
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