Ashadha Gupt Navratri Puja Vidhi: जानिए क्या है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की संपूर्ण पूजा विधि
Ashadha Gupt Navratri Puja Vidhi |
Ashadha Gupt Navratri Puja Vidhi: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि एक शुभ 9-दिवसीय अनुष्ठान है, जो देवी दुर्गा (Goddess Durga) के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करने के लिए समर्पित है। यह हिंदुओं द्वारा अत्यधिक भक्ति और उत्साह के साथ मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। गुप्त नवरात्रि को शाकंभरी नवरात्रि या गायत्री नवरात्रि (Shakambhari Navratri or Gayatri Navratri) के नाम से भी जाना जाता है और भारत के सभी हिस्सों, विशेषकर उत्तरी राज्यों में अत्यधिक उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की गुप्त रूप से साधना की जाती है। जिससे भक्त मां से दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त कर सकें। अगर आप भी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा करना चाहते हैं तो आज हम आपको आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की संपूर्ण पूजा विधि बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि पर एक नजर।
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा विधि (Ashadha Gupt Navratri Puja Vidhi)
1. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दिन साधक को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए।
3.कपड़ा बिछाने के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश की स्थापना के लिए एक मिट्टी का पात्र लेना चाहिए और उसमें जल भरकर गंगा जल डालकर उसे ढक्कन से बंद करके एक नारियल पर लाल रंग की चुन्नी से लपेटकर कलश की ऊपर स्थापित करना चाहिए।
4. इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करना चाहिए और मां को रोली का तिलक करना चाहिए। इसके साथ कलश का भी तिलक करना चाहिए।
5. तिलक के बाद माता को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए और उन्हें लाल रंग के पुष्पों की माला और पुष्प अर्पित करने चाहिए।
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6. इसके बाद माता के आगे धूप व दीप जलाने चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए या फिर आप काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी। भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा। बगला सिद्ध विद्या च मातंगी कमलात्मिका। एता दशमहाविद्याः सिद्धविद्या प्रकीर्तिताः॥ मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
7. इसके बाद गोबर के उपले से अज्ञारी करें। सबसे पहले इस पर घी डालें, कपूर डालें, दो लौंग का जोड़ा डालें और अंत में बताशे डालें।
8. अज्ञारी के बाद मां दूर्गा की कथा सुनें और उनकी कपूर से आरती उतारें।
9. इसके बाद उन्हें बताशे का भोग लगाएं और इन बताशों को प्रसाद के रूप में सभी के बीच में वितरीत कर दें।
10. इस प्रकार से आषाढ़ नवरात्रि में सुबह और शाम दोनों समय मां दुर्गा का पूजा अर्चना करनी चाहिए।
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