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Vat Purnima Puja Vidhi: जानिए क्या है वट पूर्णिमा व्रत की संपूर्ण पूजा विधि

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Vat Purnima Puja Vidhi

Vat Purnima Puja Vidhi: वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) का दक्षिण भारत में बहुत महत्व है। उत्तर भारत में इसे वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) के नाम से जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के तीसरे महीने यानी ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वट पूर्णिमा व्रत के इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और संतान की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और वट (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं।

अगर आप भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट पूर्णिमा का व्रत रखना चाहती हैं और यह नहीं जानती की इस व्रत में कैसे पूजा की जाती है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं वट पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि।

वट पूर्णिमा पूजा विधि (Vat Purnima Pujan Vidhi)

1. वट पूर्णिमा का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए ही होता है। इसलिए इस दिन शादीशुदा महिलाओं को स्नान आदि से करने के बाद पूरा श्रृंगार करके एक दुल्हन की तरह सजना और संवराना चाहिए। 

2. वट वृक्ष की पूजा करने के लिए महिलाओं को को एक थाली में गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, 5 प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर बरगद के पेड़ के पास जाना चाहिए।

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3. इसके बाद बरगद के पेड़ जड़ों में चल चढ़ाएं और फिर प्रसाद चढ़ाकर धूप व दीप जलाएं।

4. इसके बाद सावित्री माता और त्रिदेवों से अपने पति की लंबी उम्र और उनके अच्छे स्वास्थय के लिए प्रार्थना करें और फिर पंखे से बरगद के पेड़ पर हवा करें। 

5. अंत में बरगद के पेड़ के चारो और  कच्चे धागे से या मोली को 7 बार बांधे और प्रार्थना करें। इसके बाद घर आकर अपने पति के पैरों को धोकर उनका आशीर्वाद लें।


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