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Lakshmi Jayanti 2025 kab Hai: लक्ष्मी जयंती 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और लक्ष्मी जयंती की कथा

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Lakshmi Jayanti 2025 kab Hai

Lakshmi Jayanti 2025 kab Hai: लक्ष्मी जयंती का पर्व (Lakshmi Jayanti Festival) फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी माता लक्ष्मी का समुद्र मंथन से जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को माता लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन यदि कोई साधक पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है तो उसके जीवन में कभी भी सुख, समृद्धि और धन की कमीं नही होती तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं लक्ष्मी जयंती 2025 में कब है (Lakshmi Jayanti 2025 Mein kab Hai), लक्ष्मी जयंती का शुभ मुहूर्त (Lakshmi Jayanti Shubh Muhurat) और लक्ष्मी जयंती की कथा(Lakshmi Jayanti Story)


लक्ष्मी जयंती 2025 तिथि (Lakshmi Jayanti 2025 Date)

14 मार्च 2025

लक्ष्मी जयंती 2025 शुभ मुहूर्त (Lakshmi Jayanti  2025 Shubh Muhurat)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ -  सुबह 10 बजकर 35 मिनट से (13 मार्च 2025)

पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक (14 मार्च 2025)

लक्ष्मी जयंती की कथा (Lakshmi Jayanti Ki Katha)

लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द लक्ष्य से हुई है, जिसका अर्थ है लक्ष्य। लक्ष्मी धन, समृद्धि और भाग्य की देवी हैं। वह भौतिक और आध्यात्मिक विकास भी प्रदान करती है। वह अपने भक्तों को दुख और धन-संकट से बचाती हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं और उन्हें श्री भी कहा जाता है।

विष्णु पुराण के अनुसार लक्ष्मी भृगु और ख्याति की पुत्री हैं।  ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण उन्होंने स्वर्ग छोड़ दिया और क्षीर सागर को अपना घर बना लिया। वह गुरु शुक्राचार्य के साथ-साथ चंद्रमा की भी बहन हैं। जब देवताओं और दानवों ने क्षीर सागर का मंथन किया गया, तो समुद्र से चंद्र और लक्ष्मी का जन्म हुआ। 

लक्ष्मी आदि परम प्रकृति के रूप में भगवान विष्णु की आध्यात्मिक स्त्री ऊर्जा का अवतार हैं, जो भक्तों को सशक्त बनाती हैं और आध्यात्मिकता के उच्च शिखर पर ले जाती हैं। वह सुंदरता की देवी हैं। उनके पास लहराते और लंबे बालों के साथ उसका सुनहरा रंग है, जो खुशी प्रदान करने के रूप में दर्शाया गया है। 

उनकी लाल या सुनहरी पोशाक, सुनहरे माणिक जड़ित मुकुट के साथ सोने से भरे आभूषण तृप्ति का प्रतीक हैं। उनका दाहिना हाथ अभय मुद्रा और ज्ञान मुद्रा में है जो शक्ति और बुद्धि को दर्शाता है। वह अपने बाएं हाथ में सोने का एक बर्तन और धान का ढेर रखती हैं जो उन्हें धन और समृद्धि प्रदान करने वाली के रूप में दर्शाता है।



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