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Nirjala Ekadashi Puja Vidhi: जानिए क्या है निर्जला एकादशी की पूजा विधि



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Nirjala Ekadashi Puja Vidhi

Nirjala Ekadashi Puja Vidhi: निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन (Ekadashi) मनाई जाती है। यह व्रत निर्जल रहकर यानी बिना पानी की एक बूंद भी ग्रहण करे किया जाता है, इसी कारण से इसका नाम निर्जला एकादशी पड़ा है। इसे सबसे पवित्र एकादशी माना जाता है। यह सबसे अधिक फल देने वाली एकादशी है। निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat), एकादशी के सबसे कठिन व्रतों में से एक है जिसे भक्तों द्वारा मनाया जाता है। क्योंकि इसमें भोजन और पानी दोनों का सेवन सख्त वर्जित है।

निर्जला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे 'ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी, 'पांडव निर्जला एकादशी' या 'पांडव भीम एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी सभी पापों को धो देती है और भक्तों को सर्वोच्च निर्माता से जोड़ती है। यह व्रत बिना पानी पिए और खाना खाए रखा जाता है। निर्जला एकादशी सबसे कठिन और महत्वपूर्ण एकादशी है जो कट्टर विष्णु भक्तों द्वारा की जाती है। यदि आप भी निर्जला एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं और इस व्रत की पूजा विधि नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं निर्जला एकादशी की पूजा विधि पर एक नजर...

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निर्जला एकादशी की पूजन विधि (Nirjala Ekadashi Pujan Vidhi)

1. निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि से ही इस व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन साधक को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद एक चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कना चाहिए और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाना चाहिए।

3. पीले रंग का वस्त्र बिछाने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करना चाहिए। जिसमें तुलसी दल अवश्य हो। 

4. इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी दल,फल, फूल, तिल, दूध, नैवेद्य, मिठाई आदि अर्पित करें। अर्पित करने चाहिए।

5. यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।

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6. पूजा के बाद निर्जला एकादशी की कथा अवश्य पढ़ें या सुने।

7. कथा सुनने के बाद भगवान विष्णु की धूप व दीप से आरती उतारें।

8. इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं 

9. अंत में पूजा से उठने से पहले भगवान विष्णु से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।

10. इसके बाद किसी ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को यथा संभव दान दक्षिणा अवश्य दें। अंत में गाय को भोजन कराकर उसका भी आशीर्वाद लें। 



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