Akshay Navami Kab Hai 2024: अक्षय नवमी 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और अक्षय नवमी की कथा
Akshay Navami Kab Hai 2024: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का त्योहार (Akshay Navami Festival) मनाया जाता है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी (Amla Navami) के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) ने गोकुल का त्याग करके मथुरा अपने कर्तव्यों का पालन करने गए थे तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं अक्षय नवमी 2024 में कब है (Akshay Navami 2024 Mein Kab Hai), अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त (Akshay Navami Ka Shubh Muhurat) और अक्षय नवमी की कथा (Akshay Navami Story)
अक्षय नवमी 2024 तिथि (Akshay Navami 2024 Date)
10 नवंबर 2024
अक्षय नवमी 2024 शुभ मुहूर्त (Akshay Navami 2024 Shubh Muhurat)
अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय - सुबह 6 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक
नवमी तिथि प्रारम्भ - रात 10 बजकर 45 मिनट से (09 नवंबर 2024)
नवमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 9 बजकर 01 मिनट तक (10 नवंबर 2024)
अक्षय नवमी की कथा (Akshay Navami Ki Katha)
भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में एक निःसंतान व्यक्ति रहता था। उसने भगवान से संतान का आशीर्वाद देने के लिए बहुत मिन्नतें कीं, लेकिन उसकी सारी मिन्नतें बेकार गईं। एक दिन, एक पड़ोसी महिला ने उसकी पत्नी को एक उपाय बताया। उसने कहा कि उन्हें भगवान भैरव को एक बच्चे की बलि देनी चाहिए।
ताकि भगवान प्रसन्न हो जाएं और उन्हें एक बच्चे का आशीर्वाद दें। जब उस ने यह बात अपने पति को बताई तो उसने इस बात से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद भी महिला ने भैरव को एक बच्चे की बलि देने का फैसला किया।
एक दिन मौका पाकर उस स्त्री ने एक कन्या को कुएं में धकेल दिया और भैरव के नाम पर उसकी बलि चढ़ा दी। उसके इस कृत्य से उस पर हत्या का पाप लग गया और उसके पूरे शरीर पर कुष्ठ रोग हो गया। जब उसके पति को इस बात का पता चला तो उसने अपनी पत्नी से कहा कि गोहत्या, ब्राह्मण हत्या और शिशु हत्या पाप है और यही कारण है कि उसके पूरे शरीर में कोढ़ हो गया।
अपने पति के कहने पर वह स्त्री मां गंगा की शरण में गयी और उन्हें सारा वृतान्त सुनाया तथा मां गंगा से उसके पापों को क्षमा करने तथा उसे रोग से बाहर निकालने की प्रार्थना भी की। मां गंगा ने उससे कहा कि उसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और आंवले का सेवन भी करना चाहिए। महिला ने मां गंगा के कहे अनुसार सब कुछ किया, जिसके परिणामस्वरूप वह कुष्ठ रोग से मुक्त हो गई।
इसके साथ ही कुछ दिनों तक व्रत करने के बाद उसे संतान की भी प्राप्ति हुई। तभी से लोग इस व्रत को विधि-विधान से करते आ रहे हैं। यही कारण है कि इसे आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है।
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