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Dev Uthani Ekadashi 2022 Date: देवउठनी एकादशी 2022 में कब है, जानिए देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि


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Dev Uthani Ekadashi 2022 Date


Dev Uthani Ekadashi 2022 Date: देवउठनी एकादशी को प्रबोधनी एकादाशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी को हिंदू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार देवउठनी एकादशी से ही धरती पर सभी शुभ कामों शुरूआत होती है। माना जाता है कि इसी एकादशी को देवता भी अपनी जाग्रत अवस्था में आते हैं। इसलिए हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से मनाया जाता है तो चलिए जानते हैं साल 2021 में कब है देवउठनी एकदाशी (Dev Uthani Ekadashi 2022 Mein Kab Kab Hai), देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi Ka Shubh Muhurat), देवउठनी एकादशी का महत्व और देवउठनी एकादशी की पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Importance And Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)

देवउठनी एकादशी का महत्व (Dev Uthani Ekadashi Ka Mahatva) 

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु चार महिने के बाद निद्रा अवस्था से जागते हैं। इसके अलावा इस दिन को देवताओं के जागने का दिन भी माना जाता है। देवश्यनी एकादशी पर भगवान विष्णु के सोने के बाद सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं और इसके बाद जब भगवान विष्णु अपने निद्राकाल से जागते हैं तब धरती पर एक बार फिर से सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं। कार्तिक मास में आने वाली एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

इसके अलावा इस दिन को तुलसी विवाह के नाम से भी जाना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराया जाता है। शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही प्रतीक माना जाता है। शालिग्राम और तुलसी की शादी संनातन धर्म के अनुसार पूरे रीति - रिवाज से कराई जाती है। शास्त्रों के अनुसार जब देवता जागते हैं तो सबसे पहली प्रार्थना तुलसी की ही सुनते हैं। इसके अलावा जिन लोगों के यहां कन्या नहीं होती। वह लोग भी इस दिन तुलसी विवाह कराकर कन्यादान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

देवउठनी एकादशी की पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)

1.एकादशी के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही करना चाहिए। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई करें।

2.इसके बाद स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और उसके बाद एक साफ चौकी पर भगवान विष्णु की पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

3. इसके बाद पूजा करने वाली जगह पर भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं। उसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, नैवेद्य फल,मिठाई,बेर,सिंघाड़े,ऋतुफल और गन्ना अर्पित करें।

4. इसके बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और उनकी आरती उतारें। रात के समय घर के बाहर और पूजा स्थल पर दीपक अवश्य जलाएं और भगवान विष्णु के साथ सभी देवताओं का भी पूजन करें। 

5.यह सभी विधि संपन्न करने के बाद घंटा अवश्य बजाएं और इन वाक्यों का उच्चारण करें उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास

देवउठनी एकादशी 2022 तिथि (Dev Uthani Ekadashi 2022 Date)

4 नवंबर 2022

देवउठनी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi 2022 Subh Muhurat) 

देवउठनी एकादशी तिथि प्रारम्भ - शाम 7 बजकर 30 मिनट से ( 3 नवम्बर 2021) 

देवउठनी एकादशी तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 6 बजकर 8 तक (4 नवम्बर 2021)

देवउठनी एकादशी पर व्रत के पारण का समय-  सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 8 बजकर 47 मिनट तक  (5 नवम्बर 2022)



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