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Bhishma Ashtami 2023 Date: भीष्म अष्टमी 2023 में कब है, जानिए तर्पण मुहूर्त, महत्व और तर्पण विधि

 

Bhishma Ashtami 2023 Date: भीष्म अष्टमी 2023 में कब है, जानिए तर्पण मुहूर्त, महत्व और तर्पण विधि
Bhishma Ashtami 2023

Bhishma Ashtami 2023 Date: भीष्म अष्टमी (Bhishma Ashtami) के दिन तिल के जल से गंगा पुत्र भीष्म की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन ऐसा करता है उसे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और साथ ही उसे भीष्म जैसे आज्ञाकारी पुत्र की प्राप्ति होती है। इसलिए हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्ट अष्टमी मनाई जाती है तो चलिए जानते हैं भीष्म अष्टमी 2023 में कब है (Bhishma Ashtami 2023 Kab Hai), भीष्म अष्टमी का तर्पण मुहूर्त (Bhishma Ashtami Ka Tarpan Muhurat),भीष्म अष्टमी का महत्व और भीष्म अष्टमी तर्पण विधि (Bhishma Ashtami Importance and Bhishma Ashtami Tarpan Vidhi)

भीष्म अष्टमी का महत्व (Bhishma Ashtami Ka Mahatva)

भीष्म अष्टमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है, इतना ही नहीं इस दिन जो भी व्यक्ति तिल के जल से तर्पण करता है, उसे संतान और मोक्ष प्राप्त होता है। 

इस दिन विशेष रूप से भीष्म पितामह की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। जिससे उनका आर्शीवाद प्राप्त हो सकते। जो भी व्यक्ति इस दिन तर्पण करता है,उसे भीष्म पितामह जैसी आज्ञाकारी संतान प्राप्त होती है और सात ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। इसी कारण से भीष्म अष्टमी के व्रत को अधिक महत्व दिया जाता है।

भीष्म अष्टमी तर्पण विधि (Bhishma Ashtami Tarpan Vidhi)

1.भीष्ट अष्टमी के दिन तर्पण करने के वाले व्यक्ति को किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। लेकिन यदि ऐसा संभव न हो तो स्नान करने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान अवश्य करें और इस तरह के वस्त्र पहने जो सीले हुए न हो।

2. स्नान और वस्त्र धारण करने के बाद दाहिन कंधे पर जनेऊ धारण करें। यदि आप जनेऊ धारण नहीं कर सकते तो आप दाहिन कंधे पर गम्छा अवश्य रखें।

3.इसके बाद हाथ में तिल और जल लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।

4. हाथ में तिल और जल लेने के बाद वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतिप्रवराय च। गंगापुत्राय भीष्माय प्रदास्येहं तिलोदकम् अपुत्राय ददाम्येतत्सलिलं भीष्मवर्मणे मंत्र का जाप करें और फिर तिल और जल को अंगूठे और तर्जनी उंगली के मध्य भाग से होते हुए पात्र में छोड़े।

5. इसके बाद जो गम्छा या जनेऊ आपने दांए कंधे पर डाला था अब उसे बांए कंधे पर डाल लें और भीष्म पितामह का स्मरण करते हुए उन्हें अर्घ्य दें।

6.जिसके लिए आप भीष्म पितामह का नाम लेते हुए सूर्य को जल दे सकते हैं या दक्षिण मुखी होकर भी आप किसी वट वृक्ष को जल दे सकते हैं। लेकिन ऐसा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह जल आपके पैरों पर न आए।

7. इसके बाद तर्पण वाले जल को किसी भी वृक्ष या बरगद के पेड़ पर चढ़ा दें। 

8. अंत में भीष्म पितामह को और अपने पितरों को प्रणाम करें और उनसे तर्पण में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।

भीष्म अष्टमी 2023 तिथि (Bhishma Ashtami 2023 Tithi)

28 जनवरी 2023

भीष्म अष्टमी 2023 तर्पण मुहूर्त (Bhishma Ashtami 2023 Tarpan Muhurat)

मध्याह्न समय - सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक 

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 08  बजकर 43 मिनट से (28 जनवरी 2023)

अष्टमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 09 बजकर 05 मिनट तक (29 जनवरी 2023)


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