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Chaitra Purnima 2023 Date: चैत्र पूर्णिमा 2023 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त,महत्व और चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि

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Chaitra Purnima 2023 Date


Chaitra Purnima 2023 Date: चैत्र मास की पूर्णिमा को हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। क्योंकि इसी दिन भगवान श्री राम (Lord Shri Rama) के परम भक्त हनुमान जी  का जन्म हुआ था। इसी कारण से इस दिन हनुमान जी और भगवान सत्यनारायण की पूजा (Hanuman Ji and Lord satyanarayana) विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान उसका कई गुना फल प्राप्त होता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा 2023 में कब है (Chaitra Purnima 2023 Kab Hai), चैत्र पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Chaitra Purnima Ka Shubh Muhurat), चैत्र पूर्णिमा का महत्व और चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि (Chaitra Purnima Importance and Chaitra Purnima Puja Vidhi)

चैत्र पूर्णिमा का महत्व (Chaitra Purnima Ka Mahatva)

हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का दिन बहुत ही विशेष माना जाता है। क्योंकि इसी दिन श्री राम जी के भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी कारण से इस दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा की जाती है। जिससे भगवान श्री राम और हनुमान जी दोनों का आर्शीवाद प्राप्त हो सके। हनुमान जी के अलावा इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान सत्यनारायण जी की कथा सुनने मात्र से ही जन्मों के पापों का अंत होता है। इसी कारण से लोग इस दिन अपने घर में सत्यनारायण जी की कथा कराते हैं।

इस दिन पवित्र नदी और सरोवरों में डूबकी लगाने से सभी पापों का भी अंत होता है। इसलिए इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके निर्धन व्यक्ति या ब्राहम्ण को दान दक्षिणा आदि देते हैं। क्योंकि ऐसा करने से दान का कई गुना फल प्राप्त होता है और दान करने वाले व्यक्ति को इस जन्म में सभी प्रकार की सुख और सुविधाएं प्राप्त होती है। कई लोग इस दिन शाम के समय चंद्रमा को भी अर्घ्य देते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्रमा की कुंडली में स्थिति मजबूत होती है। 

चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि (Chaitra Purnima Ki Puja Vidhi)

1. चैत्र पूर्णिमा के दिन साधक को किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर सकता तो उसे अपने नहाने के पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं

3.  कपड़ा बिछाने के बाद उस चौकी पर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।

4.इसके बाद चौकी पर जल से भरा कलश स्थापित करें और फिर भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। जिसमें तुलसी दल अवश्य हो।

5.पंचामृत से स्नान कराने के बाद भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें मवा, पंजीरी, फूल माला,ऋतुफल, मिष्ठान और नैवेद्य आदि अर्पित करें।

6.यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद भगवान सत्यनारायण का चंदन से तिलक करें और उन्हें फूल,माला अक्षत और तुलसी दल चढ़ाएं।

7.इसके बाद धूप व दीप जलाकर भगवान सत्यनारायण की विधिवत पूजा करें और फिर भगवान सत्यनारायण जी की कथा पढ़ें या सुने।

8. कथा सुनने या पढ़ने के बाद उन्हें पंजीरी का भोग लगाएं।

9. इसके बाद भगवान सत्यनारायण से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।

10. अंत में पंजीरी और पंचामृत के प्रसाद का सभी लोगों के बीच में वितरण अवश्य करें।

चैत्र पूर्णिमा 2023 तिथि (Chaitra Purnima 2023 Tithi)

6 अप्रैल 2023

चैत्र पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त (Chaitra Purnima 2023 Shubh Muhurat)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - सुबह 9 बजकर 19 मिनट से (05 अप्रैल 2023)

पूर्णिमा तिथि समाप्त -  अगले दिन सुबह 10 बजकर 04 मिनट तक (06 अप्रैल 2022)

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