When is Varuthini Ekadashi 2023: वरूथिनी एकादशी 2022 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और भगवान वाराह की पूजा विधि
Varuthini Ekadashi 2023 kab Hai |
When is Varuthini Ekadashi 2023: वरूथिनी एकादशी का व्रत (Varuthini Ekadashi Vrat) वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को रखने से अन्न दान और कन्या दान जैसे महान दानों का फल प्राप्त होता है।इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के वाराह अवतार की पूजा (Varaha Avatar Puja) की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं वरूथिनी एकादशी 2023 में कब है (Varuthini Ekadashi 2023 Mein Kab Hai), वरूथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat),वरूथिनी एकादशी का महत्व और वरूथिनी एकादशी की पूजन विधि (Varuthini Ekadashi Importacne and Varuthini Ekadashi Pujan Vidhi)
वरूथिनी एकादशी का महत्व (Varuthini Ekadashi Ka Mahatva)
वरूथिनी एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से मनुष्य को अन्न दान और कन्या दान जैसे महान दोनों का फल प्राप्त होता है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने से व्यक्ति को कई वर्षों की तपस्या का फल भी प्राप्त होता है।
वरूथिनी एकदाशी पर भगवान विष्णु की वारह अवतार की पूजा की जाती है। यह व्रत सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला बताया गया है। इतनी ही नहीं इस व्रत के फल से अश्वमेघ यज्ञ का भी प्राप्त होता है। जो भी व्यक्ति इस व्रत का करता है, उसे संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है और मरने के बाद उसे भगवान विष्णु के श्री चरणों में स्थान प्राप्त होता है।
वरूथिनी एकादशी की पूजा विधि (Varuthini Ekadashi Ki Puja Vidhi)
1. वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि से इस व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन साधक को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठाकर स्नान करना चाहिए और पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इसके बाद एक चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कना चाहिए और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाना चाहिए।
3. पीले रंग का वस्त्र बिछाने के बाद भगवान वाराह की मूर्ति या प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करना चाहिए। जिसमें तुलसी दल अवश्य हो। इसके बाद उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं
4. स्नान कराने के बाद भगवान वाराह की मूर्ति को चौकी पर स्थापित कर दें और उन्हें तुलसी दल,फल, फूल, तिल, दूध, नैवेद्य, मिठाई आदि अर्पित करें। अर्पित करने चाहिए।
5. यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद भगवान वाराह की विधिवत पूजा करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
6. पूजा के बाद वरूथिनी एकादशी की कथा अवश्य पढ़ें या सुने।
7. कथा सुनने के बाद भगवान वाराह की धूप व दीप से आरती उतारें।
8. इसके बाद भगवान वाराह को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं
9. अंत में पूजा से उठने से पहले भगवान वाराह से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।
10. इसके बाद किसी ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को यथा संभव दान दक्षिणा अवश्य दें। अंत में गाय को भोजन कराकर उसका भी आशीर्वाद लें।
वरूथिनी एकादशी 2023 तिथि (Varuthini Ekadashi 2023 Date)
16 अप्रैल 2023
वरूथिनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त ((Varuthini Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
वरूथिनी एकदाशी के पारण का समय- सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक (17 अप्रैल 2022)
एकादशी तिथि प्रारम्भ - सुबह 11 बजकर 15 मिनट से (15 अप्रैल 2022)
एकादशी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 08 बजकर 44 मिनट तक (16 अप्रैल 2022)
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