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Kurma Jayanti 2023 Date and Time: कूर्म जयंती 2023 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त,महत्व और पूजा विधि

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Kurma Jayanti 2023 Date and Time

Kurma Jayanti 2023 Date and Time: कूर्म जयंती का त्योहार (Kurma Jayanti Festival) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के कूर्म अवतार की पूजा (Kurma Avatar Puja) की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की कूर्म अवतार की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और साथ ही सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं कूर्म जयंती 2023 में कब है (Kurma Jayanti 2023 Mein Kab Hai), कूर्म जयंती का शुभ मुहूर्त (Kurma Jayanti Shubh Muhurat), कूर्म जयंती का महत्व और कूर्म जयंती की पूजन विधि (Kurma Jayanti Ka Mahatva and Kurma Jayanti Pujan Vidhi)

कूर्म जयंती का महत्व (Kurma Jayanti Importance)

कूर्म जयंती हिंदुओं के लिए एक पवित्र त्योहार माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस समय देवता और असुर मंदरांचल पर्वत द्वारा समुद्र मंथन कर रहे थे। उस समय वह पर्वत डूबने लगा था। इसी वजह से भगवान विष्णु ने एक विशाल कछुए का अवतार लेकर उस पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया। जिसके बाद समुद्र मंथन सफल हो सका और उसमें से 14 दिव्य उपहार, रत्न और देवी-देवता प्रकट हुए।

यह दिन किसी भी नए काम को शुरू करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग भवन निर्माण जैसे कार्य भी कराते हैं। वहीं माना जाता है कि योगमाया भगवान कूर्म के साथ ही रहती हैं। इसलिए इस दिन नए घर में शिफ्ट होना या फिर वास्तु से जुड़ा कोई भी काम करना काफी शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और साथ ही उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे सभी प्रकार की सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। 

कूर्म जयंती की पूजा विधि (Kurma Jayanti Puja Vidhi)

1. कूर्म जयंती की पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए साधक को शाम के समय स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए और फिर एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें।

2. इसके बाद पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और फिर भगवान श्री गणेश और भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।

3. मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करने के बाद चौकी पर एक तांबे का कछुआ रखें। अगर आपके पास तांबे का कछुआ नहीं है तो आप मिट्टी से बना कछुआ भी रख सकते हैं। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की कूर्म अवतार की ही पूजा की जाती है। 

4. इसके बाद उस कछुए के ऊपर हल्दी का पर्वत बनाए। आप चाहें तो हल्दी की जगह मिट्टी का भी पर्वत बना सकते हैं। 

5. पर्वत बनाने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें पहले चंदन और फिर रोली का तिलक करें। इसके बाद उन्हें मोली, फूल और दूर्वा अर्पित करें। 

6. इसके बाद भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार की पूजा करें। सबसे पहले भगवान विष्णु और कछुए को चंदन और रोली का तिलक करें और फिर उन्हें अक्षत चढ़ाएं।

7.इसके बाद इसी तरह से कछुए की पीठ पर बनाए गए पर्वत की पूजा करें और फिर भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार रूपी कछुए को वस्त्र के रूप में मौली अर्पित करें। 

8.मौली अर्पित करने के बाद उन्हें पीले रंग के फूलों की माला पहनाएं और फूल अर्पित करें। 

9.इसके बाद धूप व दीप जलाएं और कूर्म अवतार की कथा पढ़े या सुने।

10. कथा सुनने के बाद धूप व दीप से भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार की आरती उतारें।

11. इसके बाद भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार को किसी भी प्रकार की पीले रंग की मिठाई या फिर जो भी प्रसाद आपने बनाया हो उसका भोग लगाएं।

12. अंत में पूजा में हुई किसी भूल के लिए क्षमा याचना करें और इस प्रसाद को घर के सभी लोगों के बीच में बांट दें और फिर किसी ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें।

कूर्म जयंती 2023 तिथि (Kurma Jayanti 2023 Tithi)

4 मई 2023

कूर्म जयंती 2023 शुभ मुहूर्त (Kurma Jayanti 2023 Shubh Muhurat)

कूर्म जयंती शुभ मुहूर्त - शाम 5 बजकर 06 से शाम 7 बजकर 55 मिनट तक (15 मई 2022)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - दोपहर 2 बजकर 14 मिनट से (4 मई 2023)

पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक (5 मई 2023)


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