Kokila Vrat Importance: जानिए क्या है कोकिला व्रत का महत्व
Kokila Vrat Importance |
Kokila Vrat Importance: कोकिला व्रत आषाढ़ मास की पूर्णिमा से प्रारंभ से होता है और इसे श्रावण मास की पूर्णिमा तक किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत सबसे पहले माता पार्वती (Goddess Parvati) ने की थी। इस व्रत को करने से सुहागन महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है और वहीं कुंवारी लड़कियों को अच्छे वर की प्राप्ति होती है। इसके अलावा और क्या है कोकिला व्रत का महत्व (Kokila Vrat Ka Mahatva) आइए जानते हैं...
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कोकिला व्रत का महत्व (Kokila Vrat Significance)
कोकिला व्रत स्त्रियों के लिए बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत को रखने से के कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। वहीं सुहागन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। इतना ही नहीं माना जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं की सुंदरता भी बढ़ती है। क्योंकि इस व्रत में महिलाओं को विशेष जड़ी बूटियों से नहाना पड़ता है।
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शास्त्रों के अनुसार कोकिला व्रत की शुरुआत करने वाली माता पार्वती थीं। जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह रखा था। माता पार्वती अपने इस जन्म को लेने से पहले कोयल बनकर दस हजार सालों तक नंदन वन में भटकती रहीं। इस श्राप से मुक्त होने के बाद मां पार्वती ने कोयल की पूजा की। इसके बाद भगवान शिव खुश हुए और उन्होंने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
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