Header Ads

Shravan Amavasya 2022 Kab ki Hai: श्रावण अमावस्या 2022 कब की है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

shravan amavasya 2022 kab ki hai shravan amavasya 2022 date and time importance and puja vidhi
Shravan Amavasya 2022 Kab ki Hai


Shravan Amavasya 2022 Kab ki Hai: श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या और हरियाली अमावस्या के नाम से जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करके पित्तरों का तर्पण करने से पित्तरों की आत्मा को शांति मिलती है। इतना हीं नहीं इस दिन पीपल के वृक्ष की विशेष रूप से पूजा की जाती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं श्रावण अमावस्या 2022 में कब है (Shravan Amavasya 2022 Mein Kab Hai), श्रावण अमावस्या का शुभ मुहूर्त (Shravan Amavasya Shubh Muhurat), श्रावण अमावस्या का महत्व और श्रावण अमावस्या की पूजा विधि (Shravan Amavasya Importance and Shravan Amavasya Puja Vidhi)

श्रावण अमावस्या का महत्व (Shravan Amavasya Ka Mahatva)

हिंदू पचांग के अनुसार श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहा जाता है। क्योंकि इस माह से श्रावण के महीने की शुरुआत होती है, इसलिए इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक अमावस्या की तरह श्रावण अमावस्या पर भी पित्तरों की शांति के लिए पिंड दान और दान धर्म आदि करने का विशेष महत्व होता है।

श्रावण मास में बारिश के आगमन से धरती का कोना-कोना हरा भरा होकर खिल उठता है। इसी वजह से पेड़ पौधों को नया जीवन मिलता है और इन्हीं की वजह से ही मानव जीवन भी सुरक्षित रहता है। इसलिए प्राकृतिक दृष्टि कोण से भी इसका बहुत अधिक महत्व है। इस दिन किसी पवित्र, नदी या जलाशय में स्नान करने के बाद सूर्य देव अर्घ्य देकर पित्तरों का तर्पण करना चाहिए। 

पित्तरो की शांति के लिए उपवास करें और फिर किसी गरीब व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दें। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना और इसकी परिक्रमा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा श्रावण अमावस्या पर आम,पीपल, बरगद और नीम का पौधा लगाना भी बहुत ही शुभ माना जाता है।क्योंकि इन वृक्षों में देवताओं का वास होता है। 

श्रावण अमावस्या की पूजा विधि (Shravan Amavasya Puja Vidhi)

1. श्रावण अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना सबसे ज्यादा क्षेष्ठ माना जाता है। इससे पितरों को मुक्ति मिलती है।

2. इस दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए। इसके बाद बिना सीले वस्त्र धारण करने चाहिए।

3. इसके बाद यदि संभव हो तो किसी पुरोहित से तर्पण कराएं या फिर आप स्वंय भी तर्पण कर सकते हैं। 

4. इसके बाद जहां पर आपके पितरों का स्थान है या फिर जहां पर उनकी तस्वीर लगी हुई है। उसके नीचे के स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें।

5. इसके बाद उस स्थान पर एक देशी घी का दीपक जला दें। इसके बाद अपने पूर्वज की तस्वीर पर सफेद चंदन का तिलक करें और उन्हें सफेद रंग के फूल अर्पित करें।

6. इसके बाद उनसे प्रार्थना करें कि हे पितृ देव हे मेरे पूर्वजों आज की रात मैं जो भी प्रार्थना करूं, जो भी पूजा करूं वह सफल हो।मुझे अपना आर्शीवाद प्रदान करें। जिससे मेरे सभी काम सफल हो। 

7. इसके बाद उस सफेद कपड़े को पितरो के पूजा स्थान या फिर अपने पूर्वजों की तस्वीर के नीचे रख दें। इसके बाद उन्हें खीर और पूरी का भोग लगाएं।

8. ऐसा करने बाद हाथ जोड़कर उन्हें नमन करें और उनसे पूजा में हुई किसी भी भूल के श्रमा अवश्य मांगे। 

9. इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन अवश्य करांए और उन्हें वस्त्र और दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर उनका आर्शीवाद लें। 

10. अंत में पितरों को भोग लगाई खीर और पूरी को किसी गाय को खिला दें और उसमें कुछ को प्रसाद के रूप में परिवार के साथ ग्रहण करें।

श्रावण अमावस्या 2022 तिथि (Shravan Amavasya 2022 Tithi)

28 जुलाई 2022

श्रावण अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त (Shravan Amavasya 2022 Shubh Muhurat)

श्रावण अमावस्या का प्रारम्भ -  सुबह 11 बजकर 41 मिनट से (27 जुलाई 2022)

श्रावण अमावस्या की समाप्ति - अगले दिन दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक (28 जुलाई 2022)

कोई टिप्पणी नहीं

If you have and doubts. Please Let Me Know

Blogger द्वारा संचालित.