Jivitputrika Vrat 2022 Mein Kab Hai: जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत विधि
Jivitputrika Vrat 2022 Mein Kab Hai |
जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व (Jivitputrika Vrat 2022 Importance)
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है। इस व्रत को जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत माताएं संतान प्राप्ति और संतान की लंबी आयु, मंगलमय कामना और सुखमय जीवन के लिए रखती हैं।
माना जाता है कि जो माताएं यह व्रत रखती हैं उनकी संतान को जीवन में किसी भी प्रकार का कोई दुख नहीं उठाना पड़ता और उनके घर में हमेशा सुख और शांति बनी रहती है। इस व्रत में भी छठ पूजा की तरह ही नहाय-खाय की परंपरा होती है।
जीवित्पुत्रिका व्रत विधि (Jivitputrika Vrat Vidhi)
1. जीवित्पुत्रिका व्रत तीन दिनों तक किया जाता है। जिसमें पहले दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। जिसमें जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा बनाई जाती है और फिर धूप-दीप, अक्षत, पुष्प, फल आदि अर्पित करके फिर पूजा की जाती है।
2. इसके बाद मिट्टी और गाय के गोबर से सियारिन और चील की प्रतिमा बनाई जाती है और फिर उनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है।
3. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका की कथा पढ़ी या सुनी जाती है और फिर एक बार भोजन ग्रहण करके पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं।
4. इसके बाद दूसरे दिन फिर से महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर पूजा-पाठ करती हैं और फिर निर्जला व्रत रखती हैं
5. तीसरे तीन महिलाएं इस व्रत का पारण करती हैं और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न ग्रहण करती हैं।
6. इस व्रत के तीसरे दिन मुख्य रूप से झोर भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है।
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जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 तिथि (Jivitputrika Vrat 2022 Date)
शनिवार, 17 सितंबर 2022
जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 शुभ मुहूर्त (Jivitputrika Vrat 2022 Shubh Muhurat)
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 4 बजकर 44 मिनट से (16 सितम्बर 2022 )
अष्टमी तिथि समाप्त - सुबह 7 बजकर 02 मिनट तक (18 सितम्बर 2022 )
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