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Dhanteras 2022 Kab Hai: जानिए किस प्रकार से करनी चाहिए धनतेरस की पूजा

 

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Dhanteras 2022 Kab Hai

Dhanteras 2022 Kab Hai: धनतेरस का त्योहार (Dhanteras Festival) इस साल 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दिवाली के त्योहार (Diwali Festival) का यह पहला दिन होता है। दिवाली की तरह ही धनतेरस पर की गई पूजा का विशेष महत्व होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन आपको किन-किन देवताओं की पूजा किस प्रकार से करनी चाहिए अगर नहीं तो हम आपको आज इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं धनतरेस की पूजा विधि (Dhanteras Ki Puja Vidhi) पर एक नजर।

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धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras Ki Puja Vidhi)

1.धनतेरस के दिन घर की पूर्व दिशा या जहां आपको पूजा करनी हो उस जगह पर गंगाजल का छिड़काव करें।

2.इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर रोली के माध्यम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं उसके पश्चात एक मिट्टी के

दीए को उस चौकी पर रखकर प्रज्जवलित करे।

3. इसके बाद दिए के आसपास तीन बारी गंगा जल का छिड़का व करें और दीए पर रोली का तिलक लगाएं।

4.उसके पश्चात तिलक पर चावल रखें इसके पश्चात एक रुपए का सिक्का दिए में डालें।

5.इसके बाद दिए पर थोड़े पुष्प अर्पित कर दिए को प्रणाम करें।

6.इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगाएं अब उस दीए को अपने घर के प्रवेश द्वार के समीप रखें उसे दाहिने और रखे तथा ध्यान दें की दीए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो।

7.इसके पश्चात यम देव की पूजा हेतु मिट्टी का दीया जलाएं तथा भगवान धनवंतरी की पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठकर धनवंतरी मंत्र ओम धन धनवंतरी नमः मंत्र का 108 बार यथा संभव जप करें।

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8. इसके बाद ध्यान लगा कर कहें कि है धनवंतरी देवता मैं यह मंत्र का उच्चारण आपके चरणों में अर्पित करता हूं।

9. धनवंतरी पूजा के पश्चात भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करना अनिवार्य है भगवान श्री गणेश तथा माता लक्ष्मी हेतु मिट्टी के दीए प्रज्वलित करें तथा उनकी पूजा करें।

10.भगवान गणेश माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढ़ाएं तथा उन्हें मिठाईयों का भो ग लगा एं।एं

11.इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में घर की तिजोरी में दीपक जलाकर कुबेर जी का पूजन करना चाहिए ध्यान करते हुए भगवान कुबेर को फूल चढ़ाएं तथा उनका ध्यान लगाकर आह्वान करें।

12. हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले आभा वाले दोनों हाथों में गदा धारण करने वाले सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले भगवान शिव के प्रिय का में ध्यान करता हूं।

13.इसके पश्चात धूप दीप नैवेद्य से पूजन करके इस मंत्र का उच्चारण करें यक्षाय कुबेराय है वैष्णवणाय धनधान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देही दापय स्वाहा ।

14. इसके पश्चात धान गेहूं उड़द चावल तथा मसूर के साथ भगवती का पूजन करना लाभकारी माना गया है पूजन सामग्री में विशेष रूप से पुष्पा के पुष्प का प्रयोग करना उचित है।






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