Mantra Jaap Benefits: भय और विश्वास से हुई है मंत्र की उत्पत्ति
Mantra Jaap Benefits |
Mantra Jaap Benefits: मंत्र की उत्पत्ति भय या विश्वास से हुई है। आदि काल में मंत्र और धर्म में बड़ा संबंध था। प्रार्थना को एक प्रकार का मंत्र माना जाता था। मनुष्य का ऐसा विश्वास था कि प्रार्थना के उच्चारण से कार्यसिद्धि हो सकती है। इसलिये बहुत से लोग प्रार्थना को मंत्र समझते थे। जब मनुष्य पर कोई आकस्मिक विपत्ति आती थी तो वह समझता था कि इसका कारण कोई अदृश्य शक्ति है।
वृक्ष का टूट पड़ना, मकान का गिर जाना, आकस्मिक रोग हो जाना और अन्य ऐसी घटनाओं का कारण कोई भूत या पिशाच माना जाता था और इसकी शांति के लिये मंत्र का प्रयोग किया जाता था। आकस्मिक संकट बार-बार नहीं आते। इसलिये लोग समझते थे कि मंत्र सिद्ध हो गया।
प्राचीन काल में वैद्य ओषधि और मंत्र दोनों का साथ-साथ प्रयोग करता था। ओषधि को अभिमंत्रित किया जाता था और विश्वास था कि ऐसा करने से वह अधिक प्रभावोत्पादक हो जाती है। कुछ मंत्रप्रयोगकर्ता (ओझा) केवल मंत्र के द्वारा ही रोगों का उपचार करते थे। यह इनका व्यवसाय बन गया था।
मंत्र का प्रयोग सारे संसार में किया जाता था और मूलत: इसकी क्रियाएँ सर्वत्र एक जैसी ही थीं। विज्ञान युग के आरंभ से पहले विविध रोग विविध प्रकार के राक्षस या पिशाच माने जाते थे। अत: पिशाचों का शमन, निवारण और उच्चाटन किया जाता था। मंत्र में प्रधानता तो शब्दों की ही थी परंतु शब्दों के साथ क्रियाएँ भी लगी हुई थीं। मंत्र शब्द में मन का तात्पर्य मनन से है और त्र का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है। मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि इससे अनिष्टकारी बाधाओं को बड़ी ही आसानी से दूर किया जा सकता है।
आध्यात्मिक प्रगति, शत्रु नाश, अलौकिक शक्ति पाने, पाप नष्ट करने से लेकर तमाम कार्यों की सिद्धि के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। लेकिन शास्त्रों में मंत्र जाप के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। उन नियमों का पालन किए बगैर मनोकामना पूरी होना मुश्किल है। शास्त्रों के अनुसार मंत्रों का जाप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए। एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जाप के लिए बहुत जरूरी है। इसके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और लक्ष्य प्राप्ति या कामना पूर्ति नहीं होती।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास के द्वारा पारिवारिक कलह निवारण, कर्ज मुक्ति, रोग दोष निवारण, सुख शांति और समृद्धि पाने के मंत्र उपाय बताए जा रहे हैं। ये मंत्र उपाय एक बार करके जरूर देखें।
सभी देवों को दर्शन
कराग्रे वसति लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती।
कर मूले तू गोविंदा, प्रभाते कर दर्शनम।।
सुबह सबसे पहले दोनो हथेलियों को जोड़कर देखें फिर इस मंत्र का जप बिस्तर पर ही बैठकर कर सकते हैं।
अर्थ : हथेली के सबसे आगे वाले भाग में देवी लक्ष्मी, मध्य वाले भाग में मां सरस्वती का निवास है तथा मूल भाग में परमबह्मा गोविंद का निवास होता है। सुबह उठकर हथेलियों के दर्शन करने से इन सभी के दर्शन होते हैं।
निरोगी काया के लिए / निरंतर धन प्राप्ति के लिए
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।
अर्थ : हे देवी मां मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो। परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। मनुष्य को तुम्हारे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त मिलेगी तथा धन, धान्य एवं पुत्र से संपन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।
मान-सम्मान के लिए
सर्वमंगल मांगल्यै शिव सर्वाथ साधिक।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नरायणि नमोऽस्तु ते ॥
अर्थ : हे मां भगवती नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याण दायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को सिद्ध करने वाली, शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है, तुम्हे नमस्कार है, तुम्हे नमस्कार है।
शत्रु के नाश करने के लिए
ॐ ह्रीं लृी बगलामुखी मम् सर्वदुष्टानाम वाचं मुखं पदं ।
स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं लृी ॐ स्वाहा ।।
अगर आप लगातार शत्रुओं से परेशान हैं आप इस मंत्र को कम से कम 10 हजार बाप जप करें। वहीं अगर कोई बड़ी बाधा हो, जिसमें जीवन-मरण का प्रश्न है तो कम से कम एक लाख बार इस मंत्र का जप करें। ऐसे व्यक्ति को हमेशा सफलता प्राप्त होती है। हर वाद-विवाद में उसकी विजय होती है।
कर्ज मुक्ति के लिए
ओम गं ऋणहर्तायै नम: अथवा ओम छिन्दी छिन्दी वरैण्यम् स्वाहा
अर्थ : कर्ज से मुक्ति दिलाने वाले भगवान गणेश को मेरा नमस्कार।
यह ऋणहर्ता है, इसके हर रोज जप से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति का कर्ज धीरे-धीरे चुकता हो जाता है। साथ ही बाद में आपको कर्ज की नौबत ही नहीं आएगी।
दोहा मंत्र
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार।
चौपाई मंत्र
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।
हनुमान चालीसा के इस दोहे और चौपाई का अगर मंत्र की तरह जाप किया जाए तो जटिल से जटिल बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं. साथ ही शारीरिक दुर्बलता और घर परिवार में हो रहा क्लेश और नकारात्मकता भी दूर हो जाती है. इन मंत्रों का जाप आप हनुमान जी के मंदिर में, घर में, दिन के समय या रात में, जब मौका मिले बस हनुमान जी का ध्यान करते हुए कर सकते हैं.
रोगों से मिलती है मुक्ति
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
नवरात्रि पर अपने और परिवार के स्वास्थ्य के लिए इस मंत्र का जप कर सकते हैं। इस मंत्र के बारे में सप्तशती में बताया गया है कि इसका नियमित जप किया जाए तो साधक का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है। यह मंत्रों रोगों से रक्षा करता है और बल की वृद्धि करके साधक की मनोकामना पूर्ण करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। साधक को इस मंत्र का नियमित कम से कम 5 माला जप करना चाहिए।
महामारी जैसे रोगों से मिलती है मुक्ति
ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। इस मंत्र के नियमित जप से महामारी से लड़ने का बल प्राप्त होता है। सप्तशती में बताया गया है कि इस मंत्र के जप से महामारी का प्रकोप दूर होता है। वैज्ञानिक तथ्य जो भी हो धार्मिक दृष्टि से इस मंत्र का बड़ा ही महत्व है। जंयती बांधते हुए भी इस मंत्र को बोला जाता है।
सौभाग्य की होती है प्राप्ति
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
नवरात्रि में इस मंत्र के जप से मां भगवती आरोग्य, यश और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। यह मंत्र मानसिक, शारीरिक और वैचारिक शक्ति को संतुलन करता है। इस मंत्र से आरोग्य के साथ-साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आपके घर के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। आप इस मंत्र को हर रोज 7 माला का जप करें।
विश्व कल्याण के लिए करें जप
विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं, विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।
विश्वेशवन्द्या भवती भवन्ति, विश्वाश्रया ये त्वयि भक्ति नम्रा:॥
इस मंत्र के जप से आप वैश्विक महमारी से मुक्ति पा सकते हैं और विश्व कल्याण के लिए माता से प्रार्थना कर सकते हैं। इस मंत्र से आप विश्व के हर जरूरमंद लोगों की मदद करने के लिए मां से विनती कर सकते हैं। आज के संदर्भ में देखा जाए तो हम सबको इंसानियत बचाने की जरूरत है, जो केवल मां के आशीर्वाद से पूरी हो सकती है। इस मंत्र को आप हर रोज 5 माला जप करें।
परेशानियों से मिलती है मुक्ति
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।
इस मंत्र के जप से आप अपने जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं और साथ में मां से अपनी रक्षा की प्रार्थना कर सकते हैं। इस मंत्र से आप सभी प्रकार की विपत्तियों से दूर हो जाते हैं और माता का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस मंत्र को आप एकांत में बैठकर हर रोज पांच माला जप कर सकते हैं।
बुरे वक्त को कर सकते हैं अच्छा
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
नवरात्रि के विशेष अवसर पर आप मां दुर्गा के इस चमत्कारिक मंत्र से आप अपने बुरे वक्त को भी अच्छे में बदल सकते हैं और मां से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह मंत्र आपको हर विपत्ति से दूर रखता है और आपके आसपास एक रक्षा कवच भी बनाता है। जीवन में किसी प्रकार का अभाव या परेशानी, चिंता या तकलीफ इस मंत्र के जप से नहीं हो सकती। इस मंत्र को हर रोज 6 माला का जप करें।
बजरंग बाण का पाठ करें
ऐसी मान्यता है कि बजरंग बाण का पाठ करने से भयानक से भयानक रोग जिसका उपचार नहीं मिल रहा हो, उसे भी दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही बजरंग बाण का सच्चे दिल से पाठ करने से शत्रुओं का भी विनाश हो जाता है। लेकिन इस दौरान साफ-सफाई, पवित्रता और अपने आचरण को बेहतर बनाकर रखें।
हनुमान बाहुक का पाठ
अगर किसी मरीज को गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि परेशानियों हो तो हनुमान बाहुक का पाठ करें। इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। हनुमान जी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से मुक्ति मिल सकती है।
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