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Sheetala Saptami 2024 Kab Hai: जानिए साल 2024 में कब है शीतला सप्तमी और क्या है शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त


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Sheetala Saptami 2024 Kab Hai


Sheetala Saptami 2024 Kab Hai: शीतला सप्तमी सबसे लोकप्रिय हिंदू त्योहारों में से एक है। जिसमें माता शीतला (Goddess Sheetala) की विशेष पूजा की जाती है। इस पर्व में खुद को, अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों को चिकन पॉक्स, चेचक और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है।

शीतला सप्तमी का यह त्योहार ग्रामीण क्षेत्रों और मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में मनाया जाता है। दक्षिणी भारत के विभिन्न हिस्सों में माता शीतला को 'देवी मरियम्मन' या 'देवी पोलेरम्मा' के रूप में पूजा जाता है। शीतला सप्तमी का त्यौहार आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के क्षेत्रों में 'पोलाला अमावस्या' के नाम से भी मनाया जाता है।

इस दिन माता शीतला की विधिवत पूजा की जाती है और बासी भोजन ग्रहण किया जाता है। क्योंकि माता शीतला को शीतलता की देवी माना जाता है। इस दिन चूल्हा बिल्कुल भी नहीं जलाया जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं शीतला सप्तमी 2024 में कब है और क्या है शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त।

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शीतला सप्तमी 2024 तिथि (Sheetala Saptami 2024 Date)

1 अप्रैल 2024

शीतला सप्तमी 2024 का शुभ मुहूर्त (Sheetala Saptami 2024 Shubh Muhurat)

शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 11 मिनट से शाम 6 बजकर 39 मिनट तक (1 अप्रैल 2024)

सप्तमी तिथि प्रारम्भ -  रात 9 बजकर 30 मिनट से (31 मार्च 2024)

सप्तमी तिथि समाप्त -  अगले दिन रात 9 बजकर 9 मिनट तक (1 अप्रैल 2024)

शीतला माता का स्वरूप (Sheetla Mata Ka Swaroop)

स्‍कंद पुराण में शीतला माता के स्‍वरूप का वर्णन किया गया है। इसके अनुसार शीतला माता गधे की सवारी करती है और हाथों में कलश, झाड़ू, सूप धारण किए रहती हैं। ऐसी मान्‍यता है कि माता शीतला की पूजा करने से बच्‍चों को निरोग रहने का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। 

बच्‍चों की बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग से रक्षा होती है। मां को बासी खाने का भोग लगाया जाता है, इसके पीछे ऐसा संदेश दिया जाता है कि अब पूरे गर्मियों के मौसम में ताजा ही खाने का प्रयोग करना है।

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नीम की पूजा (Neem Ki Puja)

1.चैत्र माह में शीतला माता के साथ नीम की भी पूजा की जाती है। कई स्थानों पर शीतला माता को निमरी देवी भी कहा जाता है। 

2. नीम के पेड़ को दूर्गा मां का स्वरूप माना जाता है।

3. नीम की पत्तियां नहाने के पानी में डालकर स्नान करने से केतु ग्रह भी शांत होता है।

4. नीम की माता पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

5. मान्यता है कि नीम की पत्तियां का धुंआ घर में किया जाए तो इससे नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती।


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