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Sheetala Ashtami Puja Vidhi: जानिए शीतला अष्टमी की संपूर्ण पूजा विधि

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Sheetala Ashtami Puja Vidhi


Sheetala Ashtami Puja Vidhi: शीतला अष्टमी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन आती है। यह दिन भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पवित्र दिनों में से एक है क्योंकि इस दिन महिलाएं अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए देवी शीतला की पूजा (Goddess Sheetala Puja) करती हैं। यह पर्व ज्यादातर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में मनाया जाता है और इसे बासोड़ा पूजा (Basoda Puja) भी कहा जाता है। यह त्योहार होली के बाद आता है और हिंदू धर्म में सबसे शुभ दिनों में से एक है। 

इस दिन माता शीतला की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और बासी भोजन का भोग लगाकर उसे प्रसाद स्वरूप पूरे परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा किस प्रकार से की जाती है। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं शीतला अष्टमी की पूजा विधि।

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शीतला अष्टमी पूजन विधि (Sheetala Ashtami Pujan Vidhi)

1. शीतला अष्टमी से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को रसोई की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए और स्नान आदि करने के बाद शीतला अष्टमी का भोजन तैयार करना चाहिए। जिसमें  मीठा भात, खाजा, चूरमा, कच्चा और पक्का खाना,नमक पारे, बेसन की पकौड़ी मुख्य रूप से हो।

2.इसके बाद शीतला अष्टमी के दिन आपको ठंडे पानी से ही स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

3.शीतला अष्टमी की पूजा से पहले आपको कड़वारों को भरना चाहिए। जिसमें रबड़ी, चावल,पुए, पकौड़े और कच्चा पक्का खाना होना चाहिए।

4. इसके बाद एक थाली में काजल,रोली,चावल,मौली,हल्दी,होली के बड़गुल्लों की एक माला और एक रूपए का सिक्का रखें।

5.इस थाली को तैयार करने के बाद एक आंटा गूथकर उसका एक दीपक बनाएं और उसमें रूई की बाती घी में डूबोकर लगाएं।

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6. इसके बाद आप माता शीतला के मंदिर में जाएं।यदि आपके घर के आस-पास माता शीतला का कोई मंदिर न हो तो आप होलिका दहन वाले स्थान पर भी माता शीतला की पूजा कर सकती हैं। 

7.मंदिर में जाकर सबसे पहले माता शीतला को रोली और हल्दी का टीका लगाएं और उन्हें काजल,मेहंदी और लच्छा और वस्त्र अर्पित करें और उन्हें तीन कंडवारे का समान अर्पित करें

8. इसके बाद उन्हें आंटे का दीपक बिना जलाए ही अर्पित कर दें और उन्हें सभी भोजन सामग्री में से थोड़ा- थोड़ा भोग लगाएं और उन्हें जल चढ़ाएं। आप जो जल माता शीतला को चढ़ा रही हैं उसमें से थोड़ा सा जल लेकर अपने लोटे में ले लें।

9. इसके बाद माता शीतला को प्रणाम करें और उनसे पूजा में हुई किसी भी भूल के क्षमा याचना अवश्य करें।

10. इसके बाद घर आकर लोटे के जल को पूरे घर में छिड़क दें। इससे घर की शुद्धि होती है और घर के सभी सदस्यों को पूजा में से बची हुई हल्दी का तिलक करें। ऐसा करने से उनकी रोगों से रक्षा होती है।


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