Gayatri Jayanti Puja Vidhi: यहां जानें गायत्री जयंती की संपूर्ण पूजा विधि
Gayatri Jayanti Puja Vidhi |
Gayatri Jayanti Puja Vidhi: गायत्री जयंती भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। इस त्योहार की पूर्व संध्या पर, भक्त देवी गायत्री के जन्म का जश्न मनाते हैं जिन्हें सभी वेदों की माता माना जाता है। वेदों में देवी गायत्री को अक्सर शिव, विष्णु और ब्रह्मा की देवी के रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा, वह तीनों देवियों - देवी पार्वती, देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती की अभिव्यक्ति के रूप में पूजनीय हैं। ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में देवी ज्ञान के रूप में प्रकट हुईं और तभी से इस पवित्र दिन को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। ऋषि विश्वामित्र (Rishi Vishwamitra) ने दुनिया को ज्ञान साझा किया जिसका प्रतिनिधित्व देवी गायत्री (Goddess Gayatri) ने किया। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिवत माता गायत्री की पूजा-अर्चना करता है, उसे जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही उसे ज्ञान की प्राप्ति भी होती है।
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गायत्री जयंती की पूजा विधि (Gayatri Jayanti Puja Vidhi)
1.गायत्री जयंती के दिन साधक को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए और स्नान आदि से निवृत्त होकर बिना सील वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध कर लें और फिर उस पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और कलश की स्थापना करें
3. वस्त्र बिछाने के बाद पहले भगवान गणेश की स्थापना करें और फिर गायत्री माता की मूर्ति या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें।
4.इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें सबसे पहले चंदन और रोली का तिलक करें और फिर मौली को वस्त्र स्वरूप उन्हें अर्पित करें। इत्र लगाएं, फूल और माला चढ़ाएं और फिर उन्हें दूर्वा अर्पित करें और फिर उनके आगे धूप व दीप जलाएं।
5.भगवान गणेश की पूजा के बाद मां गायत्री का पूजन करें। सबसे पहले उन्हें चंदन का तिलक करें और फिर उन्हें वस्त्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
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6. इसके बाद माता गायत्री को इत्र,माला,फल, फूल, मिठाई और जल आदि अर्पित करें।
7.माता गायत्री को यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद उनके आगे धूप व दीप जलाएं और फिर गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें।
8. इसके बाद माता गायत्री की कथा अवश्य पढ़ें या सुने और फिर माता गायत्री का आरती उतारें
9. माता गायत्री की आरती उतारने के बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
10. अंत में किसी माता गायत्री से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान दक्षिणा दें।
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