Gayatri Jayanti Significance: जानिए क्या है गायत्री जयंती का महत्व
Gayatri Jayanti Significance |
Gayatri Jayanti Significance: गायत्री जयंती को लेकर विभिन्न प्रकार की मान्यताएं हैं। भारत में कुछ जगहों पर विशेष दक्षिण भारत में गायत्री जयंती श्रावण पूर्णिमा को मनाई जाती है और वहीं उत्तर भारत में गायत्री जयंती गंगा दशहरा के अगले दिन मनाई जाती है। इसी दिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) भी होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गायत्री जयंती को माता गायत्री (Goddess Gayatri) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन माता गायत्री की विशेष आराधना की जाती है।
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जो व्यक्ति इस दिन माता गायत्री की पूरी श्रद्धा से आराधना करता है, उसे जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही उसे ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा और क्या है गायत्री जयंती का महत्व (Gayatri Jayanti Ka Mahatva) आइए जानते हैं...
गायत्री जयंती का महत्व (Gayatri Jayanti Significance)
माता गायत्री को हिंदू भारतीय संस्कृति की जन्मदायत्री माना जाता है। गायत्री माता से ही चारों वेदों की उत्पत्ति हुई है। माना जाता है कि गायत्री मंत्र को सिर्फ समझने मात्र से ही चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। मां गायत्री के पांच मुख और दस हाथ हैं। मां गायत्री के चार मुख चारों वेदों का प्रतीक हैं।
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वहीं उनका पांचवा मुख मां शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है तथा दस हाथ भगवान विष्णु की प्रतीक हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य भी मां गायत्री को ही माना जाता है। इसलिए इन्हें देव माता भी कहा जाता है। समस्त ज्ञान की देवी भी मां गायत्री ही हैं।
इसी कारण से माता गायत्री को ज्ञान गंगा भी कहा जाता है। विश्वामित्र के अनुसार गायत्री मंत्र से अधिक पवित्र करने वाला मंत्र कोई और नहीं है। जो व्यक्ति नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
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