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Basant Panchami 2025 Mein Kab Hai: वसंत पंचमी 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और वसंत पंचमी की कथा

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Basant Panchami 2025 Mein Kab Hai

Basant Panchami 2025 Mein Kab Hai: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार (Basant Panchami  Festival) मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। क्योंकि इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा (Goddess Saraswati  Puja) की जाती है। वसंत पंचमी के इस त्योहार को भारत में  ऋषि पंचमी, श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन से वसंत ऋतु (Basant Ritu) का भी आगमन होता है। इस दिन पीले वस्त्रों को अधिक महत्व दिया जाता है। इसी कारण से इस दिन पीले वस्त्र बहुत अधिक पहने जाते हैं तो चलिए जानते हैं साल 2024 में कब है वसंत पंचमी (Basant Panchami 2025 Me Kab Hai), वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त (Basant Panchami Shubh Muhurat) और वसंत पंचमी की कथा (Basant Panchami Ki Katha)


वसंत पंचमी 2025 तिथि (Basant Panchami 2025 Tithi)

2 फरवरी 2025

वसंत पंचमी  2025 शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2025 Shubh Muhurat)

वसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त - सुबह 7 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक (2 फरवरी 2025)

वसंत पंचमी मध्याह्न का क्षण - दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक (2 फरवरी 2025)

पंचमी तिथि प्रारम्भ -   सुबह 9 बजकर 14 मिनट से (2 फरवरी 2025)

पंचमी तिथि समाप्त -  अगले दिन सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक (3 फरवरी 2025)


वसंत पंचमी की कथा (Basant Panchami Story)

वसंत पंचमी की कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा संपूर्ण संसार की रचना से बहुत प्रसन्न थे। परिणामस्वरूप, वह पूरी दुनिया को अपनी आंखों से देखना चाहते थे। अत: वह यात्रा पर निकल पड़े। जब उसने दुनिया को देखा, तो वह पूरी तरह खामोशी से निराश हो गए। पृथ्वी ग्रह पर हर कोई बहुत अकेला दिखाई देता था। भगवान ब्रह्मा को एक विचार आया। उन्होंने अपने कमंडल में थोड़ा सा जल लिया और उसे हवा में छिड़क दिया। जिसके बाद मां सरस्वती अपनी वीणा के साथ प्रकट हुईं।

ब्रह्मा ने उनसे कुछ संगीत बजाने का अनुरोध किया ताकि पृथ्वी पर सब कुछ शांत न हो। परिणामस्वरूप, मां सरस्वती ने कुछ संगीत बजाना शुरू कर दिया। जिससे पृथ्वी के लोगों को वाणी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उन्होंने इस ग्रह को संगीत से भी भर दिया। तभी से उन्हें वाणी और ज्ञान की देवी माता सरस्वती के नाम से जाना जाने लगा। उन्हें वीणा वादिनी (वीणावादक) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां सरस्वती ने वाणी, बुद्धि, बल और तेज प्रदान किया।

वहीं एक और लोकप्रिय धारणा यह है कि इस त्योहार की उत्पत्ति आर्य काल में हुई थी। आर्य कई अन्य नदियों के अलावा सरस्वती नदी पार करके भारत में आए और बस गए। आदिम सभ्यता होने के कारण इनका अधिकांश विकास सरस्वती नदी के किनारे हुआ। इस प्रकार सरस्वती नदी को उर्वरता और ज्ञान से जोड़ा जाने लगा तब ही से वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा।


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