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Nag Panchami Importance: जानिए क्या है नाग पंचमी का महत्व

Nag Panchami Importance: जानिए क्या है नाग पंचमी का महत्व
Nag Panchami Importance

Nag Panchami Importance: नागों की पूजा का पवित्र दिन पूरे भारत में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। सांपों की पूजा करना देवताओं की पूजा के समान माना जाता है। क्योंकि हिंदू धर्म में सांपों का काफी महत्व है। यह त्योहार गरुड़ पंचमी  (Garuda Panchami) के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस दिन लोग भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने और जीवन से सभी नकारात्मकता को दूर करने और अच्छे भाग्य के लिए उनका आशीर्वाद पाने के लिए नाग की पूजा करते हैं।

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग मिट्टी से सांप बनाते हैं, उन्हें अलग-अलग रूप और रंग देते हैं और फिर इन्हें दूध पिलाया जाता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में नाग देवताओं के स्थायी मंदिर हैं। जहां इस दिन विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सपेरों का भी विशेष महत्व है, क्योंकि उन्हें दूध और पैसे चढ़ाए जाते हैं। इस दिन धरती खोदना सख्त वर्जित है। पश्चिम बंगाल में, हिंदू इस तिथि पर नाग-देवी 'अष्ट नाग' के साथ 'देवी मनशा' की पूजा करते हैं। इसके अलावा और क्या है नाग पंचमी का महत्व आइए जानते हैं...

नाग पंचमी का महत्व (Nag Panchami Ka Mahatva)

नाग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार नाग को मां लक्ष्मी का रक्षक माना जाता है। इसके अलावा सांप को धन का भी रक्षक माना जाता है। कई पुराणों और शास्त्रों में सांप को गुप्त धन, गड़े हुए धन की रक्षा का करने वाला माना गया है। 

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इसी कारण से नाग को धन की रक्षा करने वाला देवता माना गया है और इसी वजह से हर साल नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना की जाती है। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस दिन नाग देवता की पूजा के साथ सापों को दूध भी पिलाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 

वहीं शिव पुराण में नाग पंचमी के लिए एक कथा भी प्रचलित है। जिसके अनुसार जब समुद्र मंथन किया गया तो उस समय सभी रत्नों के साथ विष भी निकला था। यह विष बहुत ही ज्यादा जहरीला था । इसी कारण इसे पीने के लिए कोई भी तैयार नहीं था। जब भगवान शिव ने पृथ्वीं को संकट में देखा तो उन्होने विष का पान कर लिया। जिस समय भगवान शिव ने विष पान किया । उस समय विष की कुछ बूंदे सांप के मुहं में गिर गई । जिसके कारण पूरी सर्प जाति विषैली हो गई। सांप से किसी भी प्रकार का नुकसान न हो इसी कारण नाग देवता की पूजा की जाती है।




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