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Durga Visarjan Kab Hai 2024: दुर्गा विसर्जन 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और क्यों किया जाता है दुर्गा विसर्जन

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Durga Visarjan Kab Hai 2024

Durga Visarjan Kab Hai 2024: पुराणों के अनुसार दुर्गा विसर्जन का विशेष महत्व है। दुर्गा विसर्जन जो शारदीय नवरात्रि के दौरान होता है, नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव के समापन का प्रतीक है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और इस अवधि के दौरान मूर्ति को स्थापित किया जाता है और नौ दिनों तक मां दुर्गा के विशेष पूजा करने के बाद दशमी तिथि पर मां दुर्गा की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। दुर्गा पूजा और दुर्गा विसर्जन मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं दुर्गा विसर्जन 2024 में कब है (Durga Visarjan 2024 Mein Kab Hai), दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Durga Visarjan Ka Shubh Muhurat) और क्यों किया जाता है दुर्गा विसर्जन (Durga Visarjan Kyu Kiya Jata Hai)



दुर्गा विसर्जन 2024 तिथि (Durga Visarjan 2024 Date)

12 अक्टूबर 2024

दुर्गा विसर्जन 2024 शुभ मुहूर्त (Durga Visarjan 2024 Shubh Muhurat)

दुर्गा विसर्जन मुहूर्त - दोपहर 1 बजकर 17 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक (12 अक्टूबर 2024)

दशमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 10 बजकर 58 मिनट से (12 अक्टूबर 2024)

दशमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 9 बजकर 08 मिनट तक (13 अक्टूबर 2024)


श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ - सुबह 5 बजकर 25 मिनट से (12 अक्टूबर 2024)

श्रवण नक्षत्र समाप्त - अगले दिन सुबह 4 बजकर 47 मिनट तक (13 अक्टूबर 2024)


क्यों किया जाता है दुर्गा विसर्जन (Why Durga Visarjan is Done)

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत पर लौटती हैं। इसी वजह से मां दुर्गा के भक्त नौ दिनों तक व्रत करके मां की विशेष रूप से पूजा करते हैं। यह संस्कार माता के विसर्जन के बाद ही किया जाता है। जो लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं, वे इस दिन अपने माथे पर सिंदूर लगाते हैं और उनके सम्मान में आरती करते हैं।

मूर्ति के विसर्जन के लिए एक बड़े जुलूस का आयोजन किया जाता है, जिसमें देवी की मूर्ति को अलंकृत किया जाता है और विसर्जन के लिए एक पवित्र तालाब या नदी तक ले जाया जाता है। दुर्गा पूजा विसर्जन जुलूस में मां के भक्त शामिल होते हैं, जो पारंपरिक गीत गाते और उन्हें विदाई देने के लिए नृत्य करते हैं। उपासक देवी दुर्गा को नदी के किनारे ले जाते हैं, जहां वे वादा करते हैं कि वे अगले वर्ष फिर से मां दुर्गा के विसर्जन के लिए आएंगे।

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