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Ganesh Chaturthi 2024 Date and Day: गणेश चतुर्थी 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और गणेश चतुर्थी की कथा

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Ganesh Chaturthi 2024 Date and Day

Ganesh Chaturthi 2024 Date and Day: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का त्योहार (Ganesh Chaturthi Festival) मनाया जाता है। इस दिन घरो में भगवान गणेश की स्थापना की जाती है और उनकी विधिवत पूजा की जाती है। लोग इस दिन भगवान गणेश को बड़े ही धूमधाम से अपने घर पर लाते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार 5,7 या 11 दिनों तक अपने घर में स्थापित करके उनकी सुबह और शाम को पूजा करते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी की स्थापना होती है और भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन भगवान गणेश का विसर्जन कर दिया जाता है।

माना जाता है कि इन 11 दिनों तक जो कोई भगवान गणेश की सच्चे दिल से आराधना कर लेता है।उसके जीवन के सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है तो चलिए जानते हैं गणेश चतुर्थी 2024 में कब है (Ganesh Chaturthi 2024 Mein Kab Hai), गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi Shubh Muhurat) और गणेश चतुर्थी की कथा (Ganesh Chaturthi Story) 


गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि (Ganesh Chaturthi 2024 Date) 

7 सितंबर 2024

गणेश चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2024 Shubh Mahurat) 

भगवान गणेश की स्थापना का शुभ मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक (7 सितंबर 2024)

एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - दोपहर 3 बजकर 01 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक (6 सितंबर 2024)

वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - सुबह 9 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 44 मिनट तक (7 सितंबर 2024)

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: दोपहर 3 बजकर 01 मिनट से (6 सितंबर 2024) 

चतुर्थी तिथि समाप्त: अगले दिन शाम 5 बजकर 37 मिनट तक (7 सितंबर 2024)


गणेश चतुर्थी की कथा (Ganesh Chaturthi Ki Katha)

शिव पुराण और गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती का पुत्र माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ने अपने चंदन के लेप से भगवान गणेश की एक मूर्ति बनाई और फिर उसमें प्राण फूंककर भगवान गणेश को अपने रक्षक के रूप में बनाया। एक बार, जब वह स्नान कर रही थीं तब भगवान शिव आए और मां पार्वती के आदेश के अनुसार भगवान गणेश ने उन्हें उस स्थान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। 

जिससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने भगवान गणेश का सिर काट दिया। जब देवी पार्वती ने यह देखा तो वह बहुत क्रोधित हुईं और धमकी दी कि वह दुनिया को नष्ट कर देंगी। जिसके बाद वहां मौजूद सभी लोग चिंतित हो गए और भगवान शिव से इसका समाधान ढूंढने को कहा। जिसके बाद भगवान शिव ने अपने सेवकों को आदेश दिया कि वे जंगल जाएं और जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सोती हुई सबसे पहले दिखाई दे, उसके बच्चे का सिर ले आएं। 

जब भगवान शिव के सेवक जंगल में गए तो उन्होंने एक हथिनी को अपने बच्चे की तरफ पीठ करते हुए सोते देखा, जिसके बाद वह उस हथिनी के बच्चे का सिर काटकर वापस ले आए और फिर भगवान शिव ने तुरंत भगवान गणेश के शरीर पर सिर रख दिया और उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। इससे मां पार्वती का क्रोध शांत हुआ और तभी से यह दिन गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाने लगा।

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