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When is Holi Bhai Dooj in 2025: होली भाई दूज 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहू्र्त और होली भाई दूज की कथा

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When is Holi Bhai Dooj in 2025

When is Holi Bhai Dooj in 2025: होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj ) होली खेलने के अगले दिन मनाई जाती है। जिस प्रकार के दिवाली की भाई दूज (Diwali Bhai Dooj ) को विशेष माना जाता है, उसी प्रकार से होली की भाई दूज को भी अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन बहने अपने भाई का तिलक करके उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं होली भाई दूज 2025 में कब है (Holi Bhai Dooj 2025 Mein Kab Hai), तिलक का शुभ मुहूर्त (Tilak Ka Shubh Muhurat) और होली भाई दूज की कथा (Holi Bhai Dooj Story)


होली भाई दूज 2025 तिथि (Holi Bhai Dooj 2025 Tithi)

16 मार्च 2025

होली भाई दूज 2025 शुभ मुहूर्त (Holi Bhai Dooj 2025 Shubh Muhurat)

द्वितीया तिथि प्रारम्भ -  दोपहर 2 बजकर 33 मिनट से (15 मार्च 2025)

द्वितीया तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 4 बजकर 58 मिनट तक (16 मार्च 2025)


होली भाई दूज की कथा (Holi Bhai Dooj Story)

होली भाई दूज को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है। एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी, बुढ़िया के दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी थी। बेटी की शादी हो चुकी थी, एक बार होली के बाद बेटे के मन में अचानक अपनी बहन से मिलने के ख्याल आया और उसने अपनी मां से बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया। 

बेटे के लगातार आग्रह करने पर मां ने उसे अपनी बहन के यहां जाने की इजाजत दे दी। घर से निकलने के बाद रास्ते में एक नदी मिली, नदी ने कहा कि मैं तेरा काल हूं और इसमें पैर रखते ही तुम डूब जाओगे। इसे सुन वह भयभीत हो गया और उसने कहा कि मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्रांण ले लेना।

इसके बाद जैसे ही वह थोड़ी आगे बढ़ा, जंगल में उसे एक खूंखार शेर मिला। उसने शेर से भी यही कहा। कुछ दूर चलने के बाद एक सांप ने उसके पैर को जकड़ लिया, बुढ़िया के बेटे ने सांप को भी यही बताया। इसके बाद वह अपनी बहन के घर जा पहुंचा, बहन ने भाई को देखते ही उसे अपने गले लगा लिया और तिलक लगाने के बाद बैठाकर भोजन करवाया। 

भोजन करते वक्त भाई को उदास देख बहन काफी दुखी हो जाती है और उससे उसके दुख का कारण पूछती है।यह सब जानने के बाद बहन भाई के साथ चलने के लिए तैयार हो जाती है। वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती, बहन काफी चिंतित होकर बुढ़िया को अपनी परेशानी बताती है। 

इसे सुन बुढ़िया कहती है कि यह सब तेरे पिछले जन्मों का कर्म है, जो तुम्हारे भाई को भुगतना पड़ रहा है। यदि तुम अपने भाई को बचाना चाहती हो तो उस पर आने वाले हर विपदा को टाल सकती हो। बुढ़िया की बात सुन बहन भाई के साथ घर जाने के लिए तैयार हो गई। वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लेकर चल देती है। 

रास्ते में उसे शेर मिलता, शेर को देखते ही वह उसके सामने मांस डाल देती, फिर कुछ दूर चलते ही सांफ उसे देखकर फुंफकार रहा होता है, वह उसके सामने दूध रख देती है। वहीं लड़के को देख नदी की लहरें तेज हो जाती हैं, वह उसे ओढ़नी देती है। इस प्रकार बहन अपने भाई के ऊपर आने वाली हर विपदा को टाल देती है। इस दिन से प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की द्वितीया तिथि यानी होली के अगले दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।



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