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Mahashivratri Pujan Vidhi: यहां देखें महाशिवरात्रि की संपूर्ण पूजा विधि

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Mahashivratri Pujan Vidhi


Mahashivratri Pujan Vidhi: महाशिवरात्रि भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो पूर्णिमा से एक दिन पहले होता है। इसके अलावा कई भक्त इस दिन को शिव और पार्वती (Shiva and Parvati) के विवाह के रूप में मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव की चार पहर तक पूजा की जाती है। लेकिन जो लोग चार पहर की पूजा करने में असमर्थ होते हैं। वह इस दिन किसी भी समय भगवान शिव की पूजा सकते हैं। माना जाता है इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और वहीं जो भी दंपत्ति महाशिवरात्रि का व्रत (Mahashivratri Vrat) रखकर पूजा करते हैं उनके जीवन वैवाहिक जीवन में सदा ही मधुरता बनी रहती है। इतना ही नहीं इस जो भी कुंवारी लड़की व्रत रखती है, उसे मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं क्या है महाशिवरात्रि की पूजा विधि (Mahashivratri Pujan Vidhi)

महाशिवरात्रि की पूजा विधि (Mahashivratri Ki Puja Vidhi)

1. महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से चार पहर की पूजा की जाती है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने में असमर्थ हैं तो उसे सुबह नित्य क्रियाओं से निर्वित होकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और मन ही मन भगवान शिव की पूजा का संकल्प लेना चाहिए।

2. इसके बाद किसी मंदिर में जाकर सबसे पहले भगवान गणेश का विधिवत पूजन करना चाहिए और उन्हें दूर्वा अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद उन्हें मोदकों का भोग लगाएं और उनकी आरती करें।

3. इसके बाद माता पार्वती और नंदी का भी विधिवत पूजन करें।

4. नंदी की पूजा के बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें उनकी प्रिय वस्तुएं भांग, धतुरा, बिल्वपत्र,इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, वस्त्र, जनेऊ आदि अर्पित करें।

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5. भगवान शिव को यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद ऊं नम: शिवाय मंत्र जाप करें और यदि संभव हो तो भगवान शिव के सामने ही बैठकर महाशिवरात्रि की कथा जरूर पढ़ें।

6. इसके बाद भगवान शिव को नैवेद्य का भोग लगाएं और उनकी धूप व दीप से आरती उतारें और पूजा में हुई किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें। 

7. इसके बाद किसी बैल को चारा अवश्य खिलाएं। क्योंकि बैल को नंदी का स्वरूप माना जाता है, जो भगवान शिव के वाहन भी हैं।




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