Jivitputrika Vrat Ki Vidhi: यहां जानें जीवित्पुत्रिका व्रत की विधि और जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि
Jivitputrika Vrat Ki Vidhi |
यदि आप भी अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखना चाहती हैं और आपको इस व्रत की विधि और पूजा विधि के बारे नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत की विधि और जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि (Jivitputrika Vrat Vidhi and Jivitputrika Vrat Puja Vidhi)
जीवित्पुत्रिका व्रत विधि (Jivitputrika Vrat Vidhi)
1. जीवित्पुत्रिका व्रत तीन दिनों तक किया जाता है। जिसमें पहले दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। जिसमें जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा बनाई जाती है और फिर धूप-दीप, अक्षत, पुष्प, फल आदि अर्पित करके फिर पूजा की जाती है।
2. इसके बाद मिट्टी और गाय के गोबर से सियारिन और चील की प्रतिमा बनाई जाती है और फिर उनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है।
3. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका की कथा पढ़ी या सुनी जाती है और फिर एक बार भोजन ग्रहण करके पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं।
4. इसके बाद दूसरे दिन फिर से महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर पूजा-पाठ करती हैं और फिर निर्जला व्रत रखती हैं
5. तीसरे तीन महिलाएं इस व्रत का पारण करती हैं और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न ग्रहण करती हैं।
6. इस व्रत के तीसरे दिन मुख्य रूप से झोर भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है।
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