Akshay Navami Puja Vidhi: अक्षय नवमी की संपूर्ण पूजा विधि
Akshay Navami Puja Vidhi
Akshay Navami Puja Vidhi: अक्षय नवमी को आंवला नवमी (Awala Navami) के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इसी दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। कुछ लोग इस दिन को सतयुग की शुरुआत भी मानते हैं। उत्तर भारत विशेषकर वाराणसी में इस दिन का बहुत महत्व है। यह दिन उत्तर भारत में अक्षय नवमी परिक्रमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में इस दिन देवी जगद्धात्री (Goddess Jagadhatri) की पूजा की जाती है।
इस दिन विशेष रूप से आंवले के वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर उसकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है और साथ ही जीवन के सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और मरने के बाद मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती है। यदि आप भी आंवला नवमी की पूजा करना चाहते हैं, लेकिन आपको इसकी पूजा विधि के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं अक्षय नवमी की पूजा विधि पर एक नजर...
अक्षय नवमी की पूजा विधि (Akshay Navami Puja Vidhi)
1. अक्षय नवमी के दिन महिलाओं को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है और उसी के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है।
3. पूजा के लिए सबसे पहले आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की और मुख करके बैठें।
4. इसके बाद आंवला के पेड़ पर दूध चढ़ाएं और कच्चा सूत बांधें और फिर मेहंदी, चूड़ी या सिंदूर आदि में से कोई भी एक चीज आंवले के वृक्ष पर चढ़ाएं।
5.यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद आंवले के वृक्ष का तिलक करें और फिर धूप व दीप जलाएं।
6. इसके बाद आंवले के वृक्ष की 108 परिक्रमा करें। यदि आप 108 परिक्रमा न कर पाएं तो 8 परिक्रमा करके हाथ जोड़ लें।
7. परिक्रमा करने के बाद आंवला नवमी की कथा ध्यान पूर्वक सुने।
8. कथा सुनने के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर ही भोजन करें और भोजन में आंवले का प्रयोग अवश्य करें। भोजन करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की और ही होना चाहिए।
9.आंवला नवमी के दिन किसी ब्राह्मणी औरत को सुहाग का समान, खाने की चीजें और कुछ दान दक्षिणा अवश्य दें।
10. आंवला नवमी के दिन सोने चांदी का दान करने पर उसका छ: गुना फल मिलता है। इसलिए यदि संभव हो तो इस दिन सोने और चांदी का दान अवश्य करें।
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