Akshaya Navami Importance: अक्षय नवमी का महत्व
Akshaya Navami Importance
Akshaya Navami Importance: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का त्योहार (Akshay Navami Festival) मनाया जाता है। इस दिन का महत्व 'अक्षय तृतीया' (Akshaya Tritiya) के समान है। अक्षय नवमी सत्य युग की शुरुआत का प्रतीक है जबकि अक्षय तृतीया त्रेता युग की शुरुआत का प्रतीक है। 'अक्षय' का अर्थ है अमर. इस दिन भक्ति और धर्मार्थ गतिविधियां करने से भक्तों को वर्तमान जीवन के साथ-साथ भविष्य के जन्मों में भी लाभ मिलता है।
अक्षय नवमी 'देवउठनी एकादशी' से दो दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। क्योंकि माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। इसके अलावा और क्या है अक्षय नवमी का महत्व आइए जानते हैं...
अक्षय नवमी का महत्व (Akshay Navami Ka Mahatva)
अक्षय नवमी का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार को दिवाली के बाद मनाया जाता है। अक्षय नवमी की पूजा पूरे परिवार और दोस्तों के साथ की जाती है। इस त्योहार को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व उत्तर भारत और मध्य भारत में मनाया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण गोकुल को छोड़कर अपने कर्तव्य को पूर्ण करने के लिए मथुरा गए थे। इतना ही नहीं इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सभी बाल लीलाओं का भी त्याग किया था। अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। जिसे महिलाएं अपनी संतान और परिवार के सुख के लिए करती हैं।
पुराणों के अनुसार इसी दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि अक्षय नवमी के ही दिन भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नाम के राक्षस का भी वध किया था और उसके शरीर से कुष्माण्ड की बेल निकली थी। इसी कारण से इस दिन कुष्माण्ड का दान भी किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार आंवला का वृक्ष भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है। इसके अलावा आंवला, पीपल, वटवृक्ष, शमी , आम और कदम्ब के वृक्ष को चारों पुरुषार्थों को प्राप्त कराने वाला कहा गया है। आंवला नवमी के दिन पूजा करने से गोदान का फल का प्राप्त होता है।
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