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Bilva Nimantran 2025 Kab Hai: बिल्व निमंत्रण 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और बिल्व निमंत्रण की कथा

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Bilva Nimantran 2025 Kab Hai

Bilva Nimantran 2025 Kab Hai: बिल्व निमंत्रण दुर्गा पूजा (Durga Puja) का पहला अनुष्ठान है। दुर्गा पूजा के समारोह और उत्सव को शुरू करने के लिए यह अनुष्ठान अत्यधिक अनिवार्य है। इस अनुष्ठान में, देवी दुर्गा को बिल्व वृक्ष पर आमंत्रित किया जाता है और बाद में 4 दिनों तक पूजा के लिए आमंत्रित किया जाता है। बिल्व निमंत्रण के साथ, दुर्गा पूजा के पहले दिन किए जाने वाले अन्य अनुष्ठान हैं कल्पारम्भ, बोधोन, अधिवास और आमंत्रण (Kalparambha, Bodhon, Adhivas and Amantran)

मुख्य पूजा तीन दिनों तक यानी महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी (Mahasaptami, Maha ashtami, Mahanavami) तक चलती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं बिल्व निमंत्रण 2025 में कब है (Bilva Nimantran 2025 Mein Kab Hai), बिल्व निमंत्रण का शुभ मुहूर्त और बिल्व निमंत्रण की कथा (Bilva Nimantran Ka Shubh Muhurat and Bilva Nimantran Story)


बिल्व निमंत्रण 2025 की तिथि (Bilva Nimantran 2025 Date)

27 सितंबर 2025

बिल्व निमंत्रण 2025 का शुभ मुहूर्त (Bilva Nimantran 2025 Shubh Muhurat)

बिल्व निमंत्रण मुहूर्त - दोपहर 3 बजकर 48 मिनट से शाम 6 बजकर 12 मिनट तक (27 सितंबर 2025)

षष्ठी तिथि प्रारम्भ - दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से (27 सितंबर 2025)

षष्ठी तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 2 बजकर 27 मिनट तक (28 सितंबर 2025)


बिल्व निमंत्रण की कथा (Bilva Nimantran Ki Katha)

मार्कंडेय पुराण के अनुसार देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। जिसे ब्रह्मा जी से अजेय होने का वरदान मिला था। जिसका उपयोग करके उसने स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा लिया और निर्दोषों को परेशान करना शुरू कर दिया। 

जिसके बाद देवताओं ने शिव से मदद मांगी। ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति ने महिषासुर को हराने के लिए देवी दुर्गा की रचना की और सभी देवताओं ने उन्हें अपने अस्त्र शस्त्र प्रदान किए।  लेकिन वह राक्षस मां दुर्गा की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उनसे विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। जिसके बाद मां दुर्गा ने इसे स्वीकार कर लिया। लेकिन एक शर्त भी रखी कि उसे मां दुर्गा को युद्ध में हराना पड़ेगा।

 जिसके लिए महिषासुर सहमत हो गया और फिर यह युद्ध नौ रातों तक चला और नौवीं रात के दिन आदिशक्ति दुर्गा ने महिषासुर का सिर काट दिया, और और माता दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं। इसी कारण से हर साल दुर्गा पूजा से पहले बिल्व निमंत्रण के द्वारा मां दुर्गा को आमंत्रित किया जाता है। 


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