Govatsa Dwadashi Puja Vidhi: यहां जानें गोवत्स द्वादशी की संपूर्ण पूजा विधि
Govatsa Dwadashi Puja Vidhi |
नंदिनी हिंदू धर्म में दिव्य गाय है। महाराष्ट्र में गोवत्स द्वादशी को वसु बारस के नाम से जाना जाता है और इसे दीपावली का पहला दिन माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन गायों की पूजा करने से सुख और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। यदि आप भी गोवत्स द्वादशी के दिन गायों की पूजा करना चाहते हैं और आपको इसकी पूजा विधि के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं गोवत्स द्वादशी की पूजा विधि पर एक नजर...
गोवत्स द्वादशी पूजन विधि (Govatsa Dwadashi Pujan Vidhi)
1.गोवत्स द्वादशी के दिन गाय की विशेष पूजा की जाती है। सबसे पहले उन्हें स्नान कराया जाता है और फिर उनके माथे पर सिंदूर लगाया जाता है। गायों और उनके बछड़ों को फिर चमकीले कपड़ों और फूलों की माला से से सजाया जाता है।
2. वहीं जिन लोगों के पास गाय नहीं हैं। वे इस दिन मिट्टी की गाय और बछड़े की मूर्ति की पूजा कर सकते हैं। वह कुमकुम और हल्दी से मूर्ति को सजा सकते है।
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3. इसके बाद गायों को चना और अंकुरित मूंग जैसे विभिन्न प्रसाद खिलाएं। इस प्रसाद को पृथ्वी पर नंदिनी का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद शाम को गाय की आरती करें।
4.भक्त इस दिन भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा करते हैं, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं और गायों के प्रति गहरी कृतज्ञता और प्रेम रखते हैं।
5. इस दिन गाय का दूध,दही और घी का सेवन नहीं किया जाता। इसलिए भूलकर भी इनका सेवन न करें।
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