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Govatsa Dwadashi Importance: जानिए क्या है गोवत्स द्वादशी का महत्व

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Govatsa Dwadashi Importance

Govatsa Dwadashi Importance: गोवत्स द्वादशी एक अनोखा हिंदू त्योहार है जो मानव जीवन को बनाए रखने में उनकी सहायता के लिए धन्यवाद के रूप में गायों की पूजा करने के लिए समर्पित है। इसे 'नंदिनी व्रत' (Nandini Vrat) के नाम से भी जाना जाता है और यह हिंदू पंचांग के अनुसार 'अश्विन' महीने के 'कृष्ण पक्ष' की 'द्वादशी' तिथि को मनाया जाता है। गोवत्स द्वादशी 'धनतेरस' (Dhanteras) त्योहार से एक दिन पहले आती है।

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गोवत्स द्वादशी के दौरान हिंदू धर्म के लोग गाय 'नंदिनी' की पूजा करते हैं। इस दिन को महाराष्ट्र में 'वसु बरस' के नाम से जाना जाता है और यह दीपावली उत्सव का पहला दिन होता है। जबकि गुजरात में इसे 'वाघ बारस' के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा और क्या है गोवत्स द्वादशी का महत्व आइए जानते हैं...

गोवत्स द्वादशी का महत्व (Govatsa Dwadashi Ka Mahatva)

गायों को हिंदू पुराणों के अनुसार बहुत ही ज्यादा पूजनीय माना जाता है और उन्हें परमात्मा की अभिव्यक्ति माना जाता है। इसी कारण से हर साल दिवाली से ठीक पहले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। इस दिन को बछ बरस, वसु बरस और नंदिनी व्रत आदि नामों से भी जाना जाता है। 

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इस त्योहार को विशेष रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है, जहां गायों और बछड़ों की विशेष पूजा की जाती है। गोवत्स द्वादशी को लेकर एक कथा भी प्रचलित है। जिसके अनुसार जिस समय देवताओं और राक्षसों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था, उस समय समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक कामधेनु गाय भी थी। 

जिन्हें देवताओं ने अपने पास रख लिया था। वहीं इसके अलावा गाय भगवान श्री कृष्ण को भी बहुत अधिक प्रिय थीं। इसलिए हर साल इस दिन गायों और बछड़ों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपने घर में सुख और समृद्धि के लिए व्रत भी रखती हैं।


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