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महाशिवरात्रि 2021 कब की है,जानिए शुभ महुर्त,महत्व और चारों पहर की पूजा का समय


 

महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। एक साल के अंदर बारह शिवरात्रियां आती है। लेकिन फाल्गुन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव के भक्त पूरे दिन व्रत रखकर उनकी पूजा करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से जीवन की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। यदि महाशिवरात्रि के महत्व की बात करें तो यह दिन शिव और शक्ति के मिलन का दिन माना जाता है तो आइए जानते हैं महाशिवरात्रि 2021 कब की है,महाशिवरात्रि का शुभ महुर्त,महाशिवरात्रि का महत्व और महाशिवरात्रि पर चारों पहर की पूजा का समय।

महाशिवरात्रि का महत्व (Mahashivratri Ka Mahatva)

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के अर्धनारिश्वर रूप की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तुएं,बेलपत्र,भांग, धतुरा आदि अर्पित किया जाता है। कई जगहों पर तो इस दिन भांग को प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ अपने आराध्य देव के दर्शनों के लिए उमड़ पड़ती है। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती पूरे संसार का भ्रमण करते हैं और जो भी व्यक्ति इस दिन रात्रि में जागकर भगवान शिव की आराधना करता है उसे भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चार पहर की पूजा का विधान है। पहला पहर प्रदोष काल में आता है जो शाम 6 बजे से 9 बजे तक का होता है। इसके बाद भगवान शिव की दूसरे पहरे की पूजा की जाती है जो रात 9 बजे से 12 बजे तक का होता है। वहीं यदि तीसरे पहर की पूजा की बात करें तो इसका समय रात 12 बजे से सुबह 3 बजे तक होता है  और महाशिवरात्रि के अंतिम पहर की पूजा सुबह 3 बजे से 6 बजे तक की जाती है। माना जाता है कि इन चारों पहर में भगवान शिव की पूजा करने से धर्म,काम,अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


  

 महाशिवरात्रि पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi)

महाशिवरात्रि की पूजन विधि की बात करें तो इस दिन साधक को स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और मन में भगवान शिव की पूजा का संकल्प लेना चाहिए और भगवान शिव के मंदिर जाना चाहिए। मंदिर में जाकर सबसे पहले भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें और उनकी विधिवत पूजा करें और उन्हें मोदकों का भोग लगाकर उनकी आरती उतारें और इसके बाद माता पार्वती और नंदी की पूजा भी करें। 

इसके बाद शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं और भगवान शिव को उनकी  प्रिय वस्तुएं भांग, धतुरा, बिल्वपत्र,इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, वस्त्र, जनेऊ आदि चढाएं। इसके बाद ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप अवश्य करें। यदि संभव हो तो भगवान शिव के सामने ही बैठकर महाशिवरात्रि की कथा अवश्य पढ़ें।इसके बाद उन्हें नैवेद्य का भोग लगाएं और उनकी धूप व दीप से आरती उतारें और उनसे पूजा में हुई किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें। इसके बाद किसी बैल को चारा अवश्य खिलाएं क्योंकि बैल को नंदी का स्वरूप माना जाता है जो भगवान शिव के वाहन भी है।

महाशिवरात्रि 2021 तिथि (Mahashivratri 2021 Tithi)

11 मार्च 2021

महाशिवरात्रि  2021 शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2021 Shubh Muhurat)

निशिता काल पूजा समय - 12:08 ए एम से 12:56 ए एम, मार्च 12

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - शाम 4 बजकर 09 मिनट से (11 मार्च 2021)

चतुर्दशी तिथि समाप्त - शाम 4 बजकर 32 मिनट तक (12 मार्च 2021)

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:34 पी एम से 09:33 पी एम

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:33 पी एम से 12:32 ए एम, मार्च 12

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:32 ए एम से 03:32 ए एम, मार्च 12

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:32 ए एम से 06:31 ए एम, मार्च 12

महाशिवरात्रि व्रत के पारण का समय (Mahashivratri Vrat Ke Paran Ka Samay)

महाशिवरात्रि व्रत के पारण समय - सुबह 6 बजकर 31 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक (12 मार्च 2021)



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