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Sheetala Saptami 2023 Kab Hai: शीतला सप्तमी 2023 कब है, जानिए शुभ मुहूर्त,महत्व और मां शीतला की पूजा विधि

Sheetala Saptami 2023 Kab Hai: शीतला सप्तमी 2023 कब है, जानिए शुभ मुहूर्त,महत्व और मां शीतला की पूजा विधि
Sheetala Saptami 2023 Kab Hai


Sheetala Saptami 2023 Kab Hai: होली (Holi) के सात दिन शीतला सप्तमी का त्योहार (Sheetala Saptami Festival) मनाया जाता है। इस दिन को बसोड़ा या बसोरा के नाम भी जाना जाता है। इस दिन माता शीतला की विधिवत पूजा की जाती है और बासी भोजन ग्रहण किया जाता है। क्योंकि माता शीतला को शीतलता की देवी माना जाता है। इस दिन चूल्हा बिल्कुल भी नहीं जलाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से माता शीतला सभी प्रकार के रोग से अपने भक्तों की रक्षा करती है तो चलिए जानते हैं शीतला सप्तमी 2023 में कब है (Sheetala Saptami 2023 Mein Kab Hai), शीतला सप्तमी का शुभ मूहूर्त (Sheetala Saptami Shubh Muhurat), शीतला सप्तमी का महत्व और माता शीतला की पूजा विधि (Sheetala Saptami Importance and Sheetala Saptami Puja Vidhi)

शीतला सप्तमी का महत्व (Sheetala Saptami Ka Mahatva)

शीतला सप्तमी का त्योहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाया जाता है। होली के सात दिन बाद पड़ने वाले इस त्योहार को माता शीतला की विधिवत पूजा की जाती है।इस दिन माता शीतला की विधिवत पूजा की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।

इसलिए महिलाएं एक दिन पहले ही कच्चा पक्का भोजन बनकर रख लेती हैं और जिस जगह होलिका दहन किया जाता है उस जगह जाकर माता शीतला का पूजन करती हैं। माता शीतला को सभी रोगों को दूर करने वाली देवी माना जाता है। 

कुछ महिलाएं इस दिन व्रत करके माता शीतला की पूजा करती हैं और उनसे प्रार्थना करती हैं कि उनकी संतान की सभी प्रकार के रोगों से रक्षा हो। भारत में इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता है। कुछ लोग बासोड़ा को शीतला सप्तमी के दिन तो वहीं कुछ लोग बासोड़ा को शीतला अष्टमी के दिन पूजते हैं। इस दिन घर में चूल्हा जलाना वर्जित होता है। यदि कोई ऐसा करता भी हो तो उसे माता शीतला के क्रोध के सामना करना पड़ता है।

शीतला सप्तमी की पूजा विधि (Sheetala Saptami Puja Vidhi)

1. शीतला सप्तमी से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को रसोई की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए और स्नान आदि करने के बाद शीतला सप्तमी का भोजन तैयार करना चाहिए। जिसमें  मीठा भात, खाजा, चूरमा, कच्चा और पक्का खाना,नमक पारे, बेसन की पकौड़ी मुख्य रूप से हो।

2.इसके बाद शीतला सप्तमी के दिन आपको ठंडे पानी से ही स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

3.शीतला सप्तमी की पूजा से पहले आपको कड़वारों को भरना चाहिए। जिसमें रबड़ी, चावल,पुए, पकौड़े और कच्चा पक्का खाना होना चाहिए।

4. इसके बाद एक थाली में काजल,रोली,चावल,मौली,हल्दी,होली के बड़गुल्लों की एक माला और एक रूपए का सिक्का रखें।

5.इस थाली को तैयार करने के बाद एक आंटा गूथकर उसका एक दीपक बनाएं और उसमें रूई की बाती घी में डूबोकर लगाएं।

6. इसके बाद आप माता शीतला के मंदिर में जाएं।यदि आपके घर के आस-पास माता शीतला का कोई मंदिर न हो तो आप होलिका दहन वाले स्थान पर भी माता शीतला की पूजा कर सकती हैं। 

7.मंदिर में जाकर सबसे पहले माता शीतला को रोली और हल्दी का टीका लगाएं और उन्हें काजल,मेहंदी और लच्छा और वस्त्र अर्पित करें और उन्हें तीन कंडवारे का समान अर्पित करें

8. इसके बाद उन्हें आंटे का दीपक बिना जलाए ही अर्पित कर दें और उन्हें सभी भोजन सामग्री में से थोड़ा- थोड़ा भोग लगाएं और उन्हें जल चढ़ाएं। आप जो जल माता शीतला को चढ़ा रही हैं उसमें से थोड़ा सा जल लेकर अपने लोटे में ले लें।

9. इसके बाद माता शीतला को प्रणाम करें और उनसे पूजा में हुई किसी भी भूल के क्षमा याचना अवश्य करें।

10. इसके बाद घर आकर लोटे के जल को पूरे घर में छिड़क दें। इससे घर की शुद्धि होती है और घर के सभी सदस्यों को पूजा में से बची हुई हल्दी का तिलक करें। ऐसा करने से उनकी रोगों से रक्षा होती है।

शीतला माता का स्वरूप (Sheetla Mata Ka Swaroop)

स्‍कंद पुराण में शीतला माता के स्‍वरूप का वर्णन किया गया है। इसके अनुसार शीतला माता गधे की सवारी करती है और हाथों में कलश, झाड़ू, सूप धारण किए रहती हैं। ऐसी मान्‍यता है कि माता शीतला की पूजा करने से बच्‍चों को निरोग रहने का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। 

बच्‍चों की बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग से रक्षा होती है। मां को बासी खाने का भोग लगाया जाता है, इसके पीछे ऐसा संदेश दिया जाता है कि अब पूरे गर्मियों के मौसम में ताजा ही खाने का प्रयोग करना है।

नीम की पूजा (Neem Ki Puja)

1.चैत्र माह में शीतला माता के साथ नीम की भी पूजा की जाती है। कई स्थानों पर शीतला माता को निमरी देवी भी कहा जाता है। 

2. नीम के पेड़ को दूर्गा मां का स्वरूप माना जाता है।

3. नीम की पत्तियां नहाने के पानी में डालकर स्नान करने से केतु ग्रह भी शांत होता है।

4. नीम की माता पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

5. मान्यता है कि नीम की पत्तियां का धुंआ घर में किया जाए तो इससे नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती।

शीतला सप्तमी 2023 तिथि (Sheetala Saptami 2023 Date)

14 मार्च 2023

शीतला सप्तमी 2023 का शुभ मुहूर्त (Sheetala Saptami 2023 Shubh Muhurat)

शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 33 मिनट से शाम 6 बजकर 29 मिनट तक (14 मार्च 2023)

सप्तमी तिथि प्रारम्भ -  रात 9 बजकर 27 मिनट से (13 मार्च 2022)

सप्तमी तिथि समाप्त -  अगले दिन रात 8 बजकर 22 मिनट तक (14 मार्च 2023)


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