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When is Narak Chaturdashi in 2024: नरक चतुर्दशी 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और नरक चतुर्दशी की कथा

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When is Narak Chaturdashi in 2024

When is Narak Chaturdashi in 2024: दीपावली यानी लक्ष्मी पूजन से एक दिन पहले मनाए जाने वाले त्योहार को नरक चतुर्दशी,रूप चौदस और छोटी दिवाली आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन दीप दान को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसा करने से यमराज के भय से मुक्ति मिलती है तो चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी 2024 में कब है (Narak Chaturdashi 2024 Mein Kab Hai), नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi Shubh Muhurat) और नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi Story)


नरक चतुर्दशी 2024 तिथि (Narak Chaturdashi 2024 Date) 

31 अक्टूबर 2024

नरक चतुर्दशी 2024 शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2024 Shubh Muhurat)

अभ्यंग स्नान मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 20 मिनट से सुबह 6 बजकर 32 मिनट तक (31 अक्टूबर 2024)

नरक चतुर्दशी के दिन चन्द्रोदय का समय - सुबह 5 बजकर 20 मिनट (31 अक्टूबर 2024)

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से (30 अक्टूबर 2024)

चतुर्दशी तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 3 बजकर 52 मिनट तक (31 अक्टूबर 2024)



नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi Ki Katha)

एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार रन्ति देव नाम का एक राजा था। वह बहुत ही धार्मिक और बुद्धिमान व्यक्ति था। मृत्यु के समय भगवान यमराज उनकी आत्मा को लेने आए थे। जब यमराज राजा के पास आए तो उन्होंने कहा कि उन्होंने जीवन भर कोई बुरा काम नहीं किया है तो फिर वे उनकी आत्मा को नरक में क्यों ले जा रहे हैं?

भगवान यमराज ने उनसे कहा, कि एक बार उन्होंने एक पुजारी को अपने दरवाजे से भूखा वापस जाने को कहा था। जिसके बाद राजा ने यमराज से एक वर्ष का समय मांगा और फिर यमराज ने राजा की 1 वर्ष की आयु और बढ़ा दी। जब यमराज चले गए, तो राजा संतों के पास गए और उन्हें पूरी कहानी सुनाई। 

संतों ने राजा को कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी का व्रत करने, पुजारियों को भोजन कराने और उनके समक्ष अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगने की सलाह दी। जिसके बाद राजा ने अनुष्ठान किया और अपने पाप से मुक्ति पा ली।

इस दिन सोलह छोटे दीयों के साथ चार मुख वाला दीपक जलाना चाहिए और खीर, रोली, अबीर, गुड़, रंग और फूल से भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद दीयों को घर के अलग-अलग कोनों में रख देना चाहिए। जिससे अकाल मृत्यु का भय टल सके।





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