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Margashirsha Purnima 2022 Kab Hai: मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

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Margashirsha Purnima 2022 Kab Hai

 Margashirsha Purnima 2022 Kab Hai: मार्गशीर्ष पूर्णिमा को शास्त्रों के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं इस दिन किए गए दान का 32 गुना फल प्राप्त होता है। इसी कारण से इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 में कब है (Margashirsha Purnima 2022 Mein Kab Hai),मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Margashirsha Purnima Ka Shubh Muhurat),मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व और मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा विधि (Margashirsha Purnima Importance and Margashirsha Purnima Puja Vidhi)

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व (Margashirsha Purnima Ka Mahatva)

शास्त्रों में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा से ही सतयुग का प्रारंभ हुआ था। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं। इस दिन दिए गए दान का भी 32 गुना फल प्राप्त होता है। 

इसी कारण से इस पूर्णिमा का बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा जो भी व्यक्ति इस दिन अपने पित्तरों के नाम से दान करता है, उसका न केवल उसे बल्कि उसके पित्तरों को भी शुभ प्राप्त होता है। सभी पूर्णिमा की तरह ही इस दिन भी भगवान सत्यनारायण की पूजा-अर्चना की जाती है। इसलिए इस दिन साधक को व्रत रखकर भगवान सत्यनारायण की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि (Margashirsha Purnima Puja Vidhi)

1. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन साधक को किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर सकता तो उसे अपने नहाने के पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2.इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं

3.  कपड़ा बिछाने के बाद उस चौकी पर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।

4.इसके बाद चौकी पर जल से भरा कलश स्थापित करें और फिर भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। जिसमें तुलसी दल अवश्य हो।

5.पंचामृत से स्नान कराने के बाद भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें मवा, पंजीरी, फूल माला,ऋतुफल, मिष्ठान और नैवेद्य आदि अर्पित करें।

6.यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद भगवान सत्यनारायण का चंदन से तिलक करें और उन्हें फूल,माला अक्षत और तुलसी दल चढ़ाएं।

7.इसके बाद धूप व दीप जलाकर भगवान सत्यनारायण की विधिवत पूजा करें और फिर भगवान सत्यनारायण जी की कथा पढ़ें या सुने।

8. कथा सुनने या पढ़ने के बाद उन्हें पंजीरी का भोग लगाएं।

9. इसके बाद भगवान सत्यनारायण से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।

10. अंत में पंजीरी और पंचामृत के प्रसाद का सभी लोगों के बीच में वितरण अवश्य करें।

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 तिथि (Margashirsha Purnima 2022 Date)

8 दिसंबर 2022

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त (Margashirsha Purnima 2022 Shubh Muhurta)

मार्गशीर्ष पूर्णिमा प्रारम्भ - सुबह 10 बजकर 31 मिनट से (7 दिसंबर 2022)

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की समाप्ति - अगले दिन दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक (8 दिसंबर 2022)


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