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Mahashivratri Significance: जानिए क्या है महाशिवरात्रि का महत्व



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Mahashivratri Significance


Mahashivratri Significance: महाशिवरात्रि भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित महत्वपूर्ण और सबसे बड़े हिंदू त्योहारों में से एक है, जो लोकप्रिय रूप से मृत्यु और विनाश से जुड़े देवता हैं। यह दिन शिव और पार्वती (Shiva and Parvati) के मिलन के रूप में मनाया जाता है। हर साल महाशिवरात्रि को पूरे देश में हिंदू अत्यंत आनंद और उत्साह के साथ मनाते हैं। 

जिसे पद्मराजरात्रि या "शिव की विशेष रात" के रूप में भी जाना जाता है, भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं, उपवास रखते हैं और अपने जीवन से सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि को अधिक महत्व दिया जाता है और अगर आप इस त्योहार के महत्व के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं महाशिवरात्रि का महत्व (Mahashivratri Importance)

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महाशिवरात्रि का महत्व (Mahashivratri Ka Mahatva)

महाशिवरात्रि के पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाले इस त्योहार पर विशेष रूप से भगवान शिव के अर्धनारिश्वर रूप की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती है। जैसे बेलपत्र,भांग और धतुरा आदि। इतना ही नहीं कई जगहों पर तो इस दिन भांग का प्रसाद भी बांटा जाता है। इस दिन भगवान शिव के दर्शनों के लिए लोग मंदिरों में जाते हैं।

माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती पूरी पृथ्वीं का भ्रमण करते हैं। महाशिवरात्रि पर रात्रि पूजन को भी अधिक महत्व दिया जाता है। इसलिए जो भी व्यक्ति इस दिन भगवान शिव का रात्रि पूजन करता है उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। महाश

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चार पहर की पूजा का विधान है। पहला पहर प्रदोष काल में आता है जो शाम 6 बजे से 9 बजे तक का होता है। इसके बाद भगवान शिव की दूसरे पहरे की पूजा की जाती है जो रात 9 बजे से 12 बजे तक का होता है। वहीं यदि तीसरे पहर की पूजा की बात करें तो इसका समय रात 12 बजे से सुबह 3 बजे तक होता है  और महाशिवरात्रि के अंतिम पहर की पूजा सुबह 3 बजे से 6 बजे तक की जाती है। माना जाता है कि इन चारों पहर में भगवान शिव की पूजा करने से धर्म,काम,अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


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