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Parshuram Jayanti Puja Vidhi: यहां देखें परशुराम जयंती की संपूर्ण पूजा विधि

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Parshuram Jayanti Puja Vidhi



Parshuram Jayanti Puja Vidhi: परशुराम जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया को आती है। माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में हुआ था। परशुराम जी की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम ऋषि जमदग्नि था। परशुराम जी को भगवान शिव (Lord Shiva) ने एक परशु नाम का शस्त्र दिया था। इसी कारण से उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि परशुराम जयंती के दिन भगवान परशुराम की पूजा (Lord Parshuram Puja) करने से व्यक्ति के साहस में वृद्धि होती है और उसे भय से मुक्ति मिलती है। पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम को श्री हरि विष्णु का छठा अवतार बताया गया है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं परशुराम जयंती की पूजा विधि

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परशुराम जयंती की पूजा विधि (Parshuram Jayanti Puja Vidhi)

1.परशुराम जयंती पर भगवान परशुराम की पूजा करने वाले व्यक्ति को सुबह  ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद एक चौकी को गंगाजल से शुद्ध करके उस पर साफ कपड़ा बिछाएं और फिर भगवान परशुराम की जी मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।

3.भगवान परशुराम जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करने के बाद हाथ में जल लेकर मम ब्रह्मात्व प्राप्तिकामनया परशुराम पूजनमंह करिष्ये मंत्र का जाप करें।

4. मंत्र जाप के बाद हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर परशुराम जी के चरणों में छोड़ दें।

5. इसके बाद सूर्यास्त तक मौन व्रत धारण करें और शाम को फिर से पूजा करें। 

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6. पूजा में भगवान परशुराम को नैवेद्य अर्पित करें और जमदग्रिसुतो वीर क्षत्रियांतकर प्रभो गृहणार्घ्य मया दंत कृपा परमेश्वर मंत्र का जाप करें।

7.इसके बाद इसके बाद भगवान परशुराम की कथा पढ़ें या सुने।

8. कथा को पढ़ने या सुनने के बाद भगवान परशुराम को मिठाई का भोग लगाएं।

9. मिठाई का भोग लगाने के बाद भगवान परशुराम की धूप व दीप से आरती उतारें।

10. अंत में भगवान परशुराम से पूजा में हुई किसी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें और उनसे प्रार्थना करें कि वह आपको साहस प्रदान करें और आपको सभी प्रकार के भय से मुक्ति दें।


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