Parshuram Jayanti Significance: परशुराम जयंती का महत्व
परशुराम जयंती का महत्व (Parshuram Jayanti Ka Mahatva)
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम जी का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में हुआ था। परशुराम जी की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम ऋषि जमदग्नि था। माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था और जिस समय परशुराम जी का जन्म हुआ था उस समय पृथ्वीं पर दुष्ट राजाओं का आतंक था। उन्हीं में से एक राजा ने परशुराम जी के पिता का भी वध कर दिया था।
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जिससे क्रोधित होकर परशुराम जी ने 21 बार पृथ्वीं को क्षत्रिय विहिन कर दिया था। परशुराम जी को भगवान शिव ने एक परशु नाम का शस्त्र दिया था। इसी कारण से उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि परशुराम जयंती के दिन भगवान परशुराम की पूजा करने से व्यक्ति के साहस में वृद्धि होती है और उसे भय से मुक्ति मिलती है। पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम को श्री हरि विष्णु का छठा अवतार बताया गया है।
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